उत्तरकाशी। नगर निकाय चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है और नेताओं ने मतदाताओं को रिझाने को हथकंडे अपनाने शुरू कर दिये हैं।
उत्तरकाशी जिले में पांच निकाय क्षेत्र हैं और यहां मतदाता अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं हालांकि नेता मनगंणत आंकड़े लगा रहे और अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।
मालूम हो कि नगरपालिका उत्तरकाशी और बड़कोट की सीट बड़ी दिलचस्प बनी हुई है जहां हर नेता अपने जीत का दावा कर रहें हैं।
बतादें कि इस निकाय चुनाव को धामी सरकार अपनी मान-प्रतिष्ठा से जोड़ रहे हैं और बड़े से लेकर छोटे नेता ने अपनी ताकत झोंक रखी है और राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने की बात कर रहे हैं।
जनपद की तीन सीटें ऐसी हैं जहां राष्ट्रीय पार्टीयों के उपर संकट के बादल मंडरा रहे हैं हालांकि दावा यह कर रहें हैं कि जीत निश्चित है लेकिन मतदाता अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं ऐसे में अब चुनौती यह है कि आखिर जागरूक मतदाता किसके पक्ष में वोट डालता है।
ज्ञात:हो कि चुनाव पर अब निर्वाचन का कोई नियंत्रण नहीं रहा है जहां बाजार शराब से सराबोर है और बाजार का माहोल शोर शराबे में तब्दील है।
इस निकाय चुनाव की गणित तो वह मतदाता स्पष्ट करेंगे जो अभी मौन है और अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं।
राष्ट्रीय पार्टीयों की हम यदि बात करें तो यहां नेताओं को भीतरघात का भी डर सता रहा है क्योंकि इससे पहले के चुनावों में देखा गया कि अधिकतर जगहों पर पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ पार्टी से जुड़े नेताओं ने भीतरघात किया और वोटों का बंटाधार हुआ है।
अब सवाल यह है कि नगरपालिका उत्तरकाशी और बड़कोट व नौगांव, पुरोला के मतदाता क्या लोभ और प्रलोभन में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे या निष्पक्ष मतदान होगा?
इस नगर निकाय चुनाव में यदि मौन बैठे मतदाताओं ने निष्पक्ष मतदान कर दिया तो उन नेताओं की हवा निकाल जायेगी जो अपनी चुनावी हवा बना रहे हैं और अपने जीत का दावा कर रहे हैं।
यह सारे सवाल अब समय के गर्त में है कि असली मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग किसके पक्ष में करतें हैं।