देहरादून,
सूबे में शिक्षा विभाग द्वारा चिन्हित मरम्मत योग्य विद्यालयों का जीर्णोद्धार राज्य आपदा मद से किया जायेगा। इसके लिये खण्ड शिक्षा अधिकारी को अपने-अपने विकासखंड के अंतर्गत चिन्हित ऐसे विद्यालयों का प्रस्ताव दो सप्ताह के भीतर विद्यालयी शिक्षा निदेशालय को उपलब्ध कराना होगा ताकि निदेशालय के माध्यम से प्रस्ताव आपदा विभाग को उपलब्ध कराया जा सके।
विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज अपने शासकीय आवास में वित्त, आपदा एवं शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों की बैठक ली। जिसमें प्रदेश के क्षतिग्रस्त विद्यालयों की मरम्मत आपदा मद से कराने व पूर्ण क्षतिग्रस्त विद्यालयों के नये भवनों का निर्माण राज्य सेक्टर से कराने का निर्णय लिया गया। डॉ. रावत ने बताया कि प्रदेश में सैकड़ों विद्यालय ऐसे हैं जिनकी मरम्मत का खर्चा रूपये एक लाख से लेकर रूपये पांच लाख तक आंका गया है। जिनका सर्वे विभाग द्वारा कुछ माह पूर्व कराया गया। जिसमें क्षतिग्रस्त विद्यालयों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त विद्यालयों को डी श्रेणी में रखा गया है जहां पर विद्यालय के नये भवन का निर्माण कराया जायेगा जिसका बजट राज्य सेक्टर से स्वीकृत किया जायेगा। जबकि अन्य विभिन्न श्रेणी के क्षतिग्रस्त विद्यालयों की मरम्मत आपदा मद से की जायेगी। जिसकी सैद्धांतिक सहमति वित्त एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा दे दी गई है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये कि विभागीय कार्यदायी संस्थाओं के माध्यम से क्षतिग्रस्त विद्यालयों के मरम्मत का प्रस्ताव दो सप्ताह के भीतर निदेशालय को उपलब्ध कराया जाय। इसके लिये खंड शिक्षा अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र के क्षतिग्रस्त विद्यालयों का प्रस्ताव तैयार कर संबंधित जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी को प्रेषित करेंगे। मुख्य शिक्षा अधिकारी अपनी संस्तुति के साथ प्रस्ताव शिक्षा निदेशालय को उपलब्ध करायेंगे। निदेशालय से प्रस्ताव विभाग के माध्यम से आपदा प्रबंधन विभाग को उपलब्ध करायेगा।
बैठक में अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद वर्द्धन, सचिव आपदा डॉ. रंजीत सिन्हा, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, अपर सचिव विद्यालयी शिक्षा योगेन्द्र यादव, एम.एम. सेमवाल, निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी, अपर निदेशक विद्यालयी शिक्षा आर.के. उनियाल, एम.एस.बिष्ट, नाबार्ड के महाप्रबंधक अमित पाण्डे, प्रबंधक शशांक शेखर सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।