देहरादून/दिनेश शास्त्री।देहरादून स्थित सोशल डेपलपमेंट फॉर कम्यूनिटी (एसडीसी) फाउंडेशन ने उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) की 15वीं रिपोर्ट जारी कर दी है। फाउंडेशन अक्टूबर 2022 से हर महीने उत्तराखंड में बड़ी आपदाओं और सड़क दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट जारी कर रहा है।
दिसंबर 2023 की रिपोर्ट में ठंड के दिनों में जंगलों में आग लगने की घटनाओं को प्रमुखता से शामिल किया गया है। रिपोर्ट में सिलक्यारा सुरंग हादसे के बाद उत्तरकाशी जिले के जोशियाड़ा बैराज के लिए पानी सप्लाई करने वाली सुरंग में रिसाव होने और मेहरगांव सहित कुछ अन्य गांव के लिए खतरा पैदा होने की घटना को भी स्थान दिया गया है। इसी के साथ लोहारीनाग-पाला परियोजना की अधूरी बनी सुरंगों से पैदा हो रहे खतरों पर भी इस रिपोर्ट में बात की गई है।
जंगलों में आग।
आमतौर पर उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाएं गर्मी के मौसम में होती हैं। लेकिन, इस बार ठंड के मौसम में भी इस तरह की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
उदास की रिपोर्ट में फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाओं को दर्ज किया गया है। कहा गया है कि 2023 के नवंबर और दिसंबर महीनों में इस तरह की 1006 फायर अलर्ट घटनाएं दर्ज की गई। 2022 में इसी समय में ठंड के मौसम में जंगलों में आग की 556 फायर अलर्ट दर्ज हुई थी। उत्तरकाशी, नैनीताल, बागेश्वर, टिहरी, देहरादून, पिथौरागढ, पौड़ी और अल्मोडा सहित सभी जिलों में आग की घटनाएं दर्ज की गई है। पिछले तीन महीनों में बारिश और बर्फबारी न होने के कारण स्थितियां लगातार बिगड़ रही हैं।
ठंड के दिनों में जंगलों में आग की बढ़ती घटनाएं जलवायु परिवर्तन की ओर साफ इशारा कर रही हैं। पिछले कई वर्षों से ठंड के दिनों में कम बारिश होने का सिलसिला चल रहा है और यह स्थिति वर्ष दर वर्ष बिड़गती जा रही है। ठंड के दिनों में कम होती बारिश के साथ ही इस मौसम में जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं। उत्तराखंड जैसे राज्य के लिए यह दोहरी चिन्ता की बात की है। हालांकि इस तरह के परिवर्तन ग्लोबल स्तर पर भी देखे जा रहे हैं।
सुरंग से बढ़ा पानी का रिसाव।
सिलक्यारा के सुरंग हादसे के बाद यहां से करीब 35 किमी दूर धरासू के पास जोशियाड़ा बैराज के लिए पानी सप्लाई करने के लिए बनाई गई सुरंग से पानी रिसाव बढ़ा है। उदास की दिसंबर की रिपोर्ट में इस घटना में प्रमुखता से जगह दी गई है। भागीरथी नदी से टनल के जरिये पानी जोशियाड़ा बैराज तक पानी पहुुंचाया जाता है, जहां उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) की मनेरी भाली-दो परियोजना का बिजली संयंत्र है। इस टनल से 2008 में भी रिसाव हुआ था। तब ट्रीटमेंट कर दिया गया था। 2021 से फिर रिसाव होने लगा। नवंबर में पानी का रिसाव बढ़ गया। इससे मेहरगांव और आसपास के गांवों के लिए खतरा पैदा हो गया है। ग्रामीणों के अनुसार टनल से रिसने वाले पानी के कारण उनकी फसलें खराब हो रही हैं।
अधूरी सुरंगें बनी खतरा।
उत्तरकाशी जिले में लोहारीनाग-पाला जल विद्युत परियोजना के लिए बनाई गई अधूरी सुरंगें कई गांवों के लिए खतरा बन गई हैं। जिन गांवों से ये सुरंगें गुजर रही हैं, वे कई जगहों पर धंस रहे हैं। कई जगहों पर घरों और खेतों में दरारें आ गई हैं। विभिन्न रिपोर्टों के हवाले से उदास में यह मामला शामिल किया गया है। लोहारीनाग-पाला विद्युत परियोजना को 2010 में पर्यावरणीय कारणों से बंद कर दिया गया था। तब तक इस परियोजना में 60 प्रतिशत काम हो चुका था। आधी बनी सुरंगें उसी हालत में छोड़ दी गई थी। इन सुरंगों से अब तिहाड़, कुज्जन, भंगेली और सुंगर गांवों को खतरा पैदा हो गया है।
जोशीमठ धंसाव अपडेट।
उदास की दिसंबर 2023 की रिपोर्ट में भी जोशीमठ भूधंसाव का अपडेट दिया गया है। केन्द्र सरकार ने बचाव और पुनर्निर्माण कार्यों के लिए 1658 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं। इसका एक हिस्सा केन्द्र सरकार देगी। कुछ हिस्सा राज्य सरकार को देना होगा।
उत्तराखंड और जलवायु परिवर्तन।
एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने कहा कि ठंड के मौसम में जंगलों में बढ़ती आग की घटनाएं चिन्ताजनक हैं। यह जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभाव की तरफ इशारा है। इससे निपटने के लिए कार्ययोजना तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने मेहरगांव की रिसती और लोहारीनाग-पाला की अधूरी सुरंगों को लेकर भी चिन्ता जताई ।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड उदास मंथली रिपोर्ट उत्तराखंड के राजनीतिज्ञों, नीति निर्माताओं, अधिकारियों, शोधार्थियों, सिविल सोसायटी और मीडिया के लोगों के लिए सहायक होगी। साथ ही आपदाओं से होने वाले नुकसान के न्यूनीकरण के लिए नीतियां बनाते समय भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।