ब्रह्मखाल/सुरेश चंद रमोला ।ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित सतजुगी वासियों के आस्था का केन्द्र देवल डांडा में पिछले चार वर्षों से निर्माणाधीन ईष्ट देव श्री नागराजा का मन्दिर बनकर अब तैयार हो चुका है। अन्य आधुनिक मंदिरों से अलग आकृति के बने इस मंदिर में तरासे गये पत्थरों और प्राचीन कलाकृति की झलक को मंदिर के दिवारों और गर्व गृह में राज मिस्त्रियों द्वारा पिरोया गया है। इस मंदिर की खासियत यह है कि मंदिर की दिवारों को उड़द की पीसी हुई दाल के साथ मजबूत बनाया गया और सीमेंट का प्रयोग मंदिर की दीवारों पर नहीं किया गया है। दशगी भंडारस्यूं पट्टियों के मध्य स्थल देवल डांडा में भगवान नागराजा का यह मंदिर पचास से अधिक गांवों के लोगों का आस्था का केन्द्र है। मंदिर निर्माण का कार्य अब पूर्ण हो चुका और नागराजा को गर्व गृह में स्थापित करने के लिए इन दिनों प्राण प्रतिष्ठा का कार्य चल रहा है। ब्राह्मणों के वैदिक मंत्रों से देवल डांडे पर शंखनाद और घंटियों की ध्वनि से सम्पूर्ण क्षेत्र भक्तिमय हुआ है। मंदिर की भब्यता और दिव्यता को देखने तथा नागराजा से आशीर्वाद लेने के लिए इस मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु मत्था टेक रहे हैं। नागराजा के साथ सिदवा और हनुमान जी व भैरव देवता को भी स्थान मंदिर में दिया गया है। इस संदर्भ मे मंदिर समिति के अध्यक्ष कर्मयोगी वैजन सिंह कुमाई ने कहा कि सतजुगि वासियों ने जो संकल्प लिया था वह अब पूरा हो गया है और सैकड़ों दानियों ने इस मंदिर के निर्माण में सहयोग की आहुती दी है उनका हम धन्यवाद करते हैं। उन्होंने कहा कि नागराजा मनोकामना पूर्ण करने वाले देवता हैं और विशेषकर द्याणियो पर नागराजा हमेशा प्रसन्न रहते हैं। बताते चलें कि जुणगा में इन दिनों अलग अलग दिशाओं से आई द्याणियो ने नागराजा मंदिर प्रांगण में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया है जो तेरह जून तक चलेगा। कथावाचक सीताशरण महाराज ने भी इस मंदिर में पैदल चलकर मत्था टेका है। दसगी भंडारस्यूं के ग्रामीण इन दिनों भक्ति में लीन होकर अपने इष्टदेव से क्षेत्र में सुख शांति समृद्धि और खुशहाली की मन्नतें मांग रहे हैं।