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उत्तराखंड चारधाम यात्रा का शुभारम्भ :आज खुलेंगे विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री, गंगोत्री धाम के कपाट, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रहेंगे कपाट खुलने के सुअवसर पर मौजूद

 

 

जयप्रकाश बहुगुणा
बड़कोट /उत्तरकाशी

 

विश्व प्रसिद्ध उत्तराखंड चारधाम यात्रा-2023 का आज यमुनोत्री, गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ विधिवत शुभारम्भ हो जाएगा !यात्रा के शुभारम्भ होते ही देश विदेश से आने वाले श्रद्धालु अब कपाट बंद होने की तिथि तक माँ यमुना के दर्शन यमुनोत्री व माँ गंगा के दर्शन गंगोत्री धाम में कर सकेंगे !इससे पूर्व छह माह तक यमुना जी अपने शीतकालीन प्रवास खरसाली (खुसिमठ )व गंगा जी मुखवा में विराजमान थी !मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कपाट खुलने की बेला पर शामिल होंगे. इस साल दोनों धामों यमुनोत्री गंगोत्री में श्रद्धालु यमुना -गंगा जी के दर्शनों के साथ  चारों ओर ताजी बिछी बर्फ की सफेद चादर के दीदार भी कर सकेंगे |यमुनोत्री, गंगोत्री के अलावा आसपास की चोटियों पर भी बर्फ की सफेद मखमली चादर श्रद्धालुओं के स्वागत को तैयार है !
विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम या यूँ कहें की माँ यमुना का उदगम स्थल समुद्र तल से 3220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, उत्तरकाशी जनपद की बड़कोट तहसील की गीठ पट्टी के अंतर्गत स्थित यह पवित्र धाम हिन्दुओं की आस्था का एक श्रेष्ठ केंद्र है, माना जाता है कि यहां यमुना जी पृथ्वी पर अवतरित हुई थी !यमुना जी का उदगम स्थल वैसे बंदरपूंछ बताया जाता hai जो तीन शिखरों का एक समूह है, नीलकंठ, बंदरपूंछ व जमुनोत्री कांठा!यमुनोत्री मंदिर सर्वप्रथम सुदर्शन शाह ने 1850 ईस्वी में बनवाया था, जिसे आगे चलकर भव्य मंदिर का रूप दिया गया, यहां सूर्य कुंड स्थित है जिसमें श्रद्धालु चावल कपड़े में बांधकर पकाते है जो यहां का पवित्र प्रसाद माना जाता है |यमुनोत्री धाम के पुजारी उनियाल ब्राह्मण हैं जो माँ यमुना की पूजा करते हैं |आज दोपहर अभिजीत मुहूर्त में बारह बजकर इकतालीस मिनट पर यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जायेंगे !
गंगोत्री धाम समुद्रतल से 3140मीटर की ऊंचाई पर स्थित है !यमुनोत्री की भांति गंगोत्री भी माँ गंगा का उदगम स्थल माना जाता है !कहा जाता है कि यहीं पर राजा भगीरथ ने शीला के ऊपर बैठकर साढ़े पांच हजार वर्षों तक तपस्या की, जिसके फलस्वरूप गंगा भागीरथी धरती पर अवतरित हुई |गंगोत्री मंदिर का निर्माण सर्वपर्थम गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने अठारवीं सदी में करवाया था !उसके बाद 20वीं सदी में जयपुर नरेश माधोसिंह ने यह मंदिर बनवाया !गंगोत्री मंदिर के पंडा पुरोहित सेमवाल जाती के ब्राह्मण हैं जो यहां माँ गंगा की पूजा करते हैं तथा यहां आने वाले श्रद्धालुओं से पूजा अर्चना करवाते हैं | आज दोपहर को गंगोत्री मंदिर के कपाट भी श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जायेंगे !दोनों धामों के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड चारधाम यात्रा का आज आगाज हो जायेगा, दोनों धामों में स्थानीय प्रशाशन व मंदिर, पंच पंडा समितियों ने सभी ब्यवस्थायें चाक चौबंद कर रखी है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानियों से रूबरू न होना पड़े |

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