बड़कोट।
उत्तरकाशी के बड़कोट में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने रंगारंग कार्यक्रम के साथ हिन्दू नव वर्ष को बड़े धूमधाम से मनाया गया। साथ ही मेरा राष्ट्र नूतन वर्ष विषय पर मुख्य वक्ता विभाग संघचालक जयपाल जी जबकि नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती अनुपमा रावत बतौर मुख्य अतिथि रही।
आपको बताते चले कि शनिवार से चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो गयी है । इतना ही नहीं नया संवत्सर 2079 भी इसी दिन लग रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार 2 अप्रैल, शनिवार का दिन कई मायनों में खास होने वाला है। क्योंकि इस दिन हिंदू नववर्ष की शुरुआत के साथ चैत्र नवरात्रि, गुड़ी पड़वा का भी पर्व भी है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने हिन्दू नव वर्ष को हर्षोउल्लास से मानया गया तो हर वर्ष हिन्दू नव वर्ष को सभी से मनाए जाने की अपील की गई। इस कार्यक्रम में हिन्दू नव वर्ष के महत्व को भी कार्यक्रम में बताया गया। जबकि रवांई घाटी के स्वर सम्राट सुंदर प्रेमी, जयदेव सिंह, सीमा चौहान सहित आधा दर्जन कलाकारों ने दर्शकों को देर रात तक झूमने के लिए विवश किये हुए रखा।
मुख्य वक्ता श्री जयपाल जी ने कहा कि आप सभी के मन में यह सवाल उठता होगा कि चैत्र महीना जोकि हिंदू नववर्ष का पहला महीना होता है यह होली के त्योहार के बाद शुरू हो जाता है। यानि फाल्गुन पूर्णिमा तिथि के बाद चैत्र कृष्ण प्रतिपदा लग जाती है फिर भी उसके 15 दिन बाद नया हिंदू नववर्ष मनाया जाता है। आखिर इसके पीछे क्या तर्क है। दरअसल चैत्र का महीना होली के दूसरे दिन ही शुरू हो जाता है,लेकिन यह कृष्ण पक्ष होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष पूर्णिमा से अमावस्या तिथि के 15 दिनों तक रहता है और कृष्ण पक्ष के इन 15 दिनों में चंद्रमा धीरे-धीरे लगातार घटने के कारण पूरे आकाश में अंधेरा छाने लगता है। सनातन धर्म का आधार हमेशा अंधेरे से उजाले की तरफ बढ़ने का रहा है यानि “तमसो मां ज्योतिर्गमय्”। इसी वजह से चैत्र माह के लगने के 15 दिन बाद जब जब शुक्ल पक्ष लगता और प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष मनाया जाता है। अमावस्या के अगले दिन शुक्ल पक्ष लगने से चंद्रमा हर एक दिन बढ़ता जाता है जिससे अंधकार से प्रकाश होता जाता है।
चैत्र माह की प्रदिपदा तिथि पर ही महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन,माह और वर्ष की गणना करते हुए हिंदू पंचांग की रचना की थी। इस तिथि से ही नए पंचांग प्रारंभ होते हैं और वर्ष भर के पर्व, उत्सव और अनुष्ठानों के शुभ मुहूर्त निश्चित होते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इस वजह से भी चैत्र प्रतिपदा तिथि का इतना महत्व है।
इसी के साथ ये भी मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर भगवान राम ने वानरराज बाली का वध करके वहां की प्रजा को मुक्ति दिलाई। जिसकी खुशी में प्रजा ने घर-घर में उत्सव मनाकर ध्वज फहराए थे।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास मार्च या अप्रैल के महीने में आता है इस दिन को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा तथा आंध्र प्रदेश में उगादी पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत की शुरुआत, भगवान झूलेलाल की जयंती, चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ, गुड़ी पड़वा,उगादी पर्व मनाए जाते हैं।
मुख्य अतिथि श्रीमती रावत ने कहा कि हिन्दू नव वर्ष के साथ विक्रम संवत 2079 शनिवार से शुरू हो गया है ।और चैत्र प्रतिपदा नवरात्रि पर शक्ति की आराधना और साधना की जाती है। इसमें मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। नवमी तिथि पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्मोत्सव और फिर चैत्र पूर्णिमा पर भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त हनुमान की जयंती मनाई जाती है।
शास्त्रों के अनुसार सभी चारों युगों में सबसे पहले सतयुग का प्रारम्भ इसी तिथि यानी चैत्र प्रतिपदा से हुआ था। यह तिथि सृष्टि के कालचक्र प्रारंभ और पहला दिन भी माना जाता है।
महर्षि दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापना भी चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि पर किया गया था। उन्होंने सभी को शुभकामनाएं दी। मंच का संचालन कर रहे ए बी वी पी तर्नवीर ने हिन्दू नव वर्ष के महत्व को बताया। ,इस मौके पर
विशिष्ट अतिथि जीजीआईसी प्रधानाचार्य श्रीमति विजय लक्ष्मी, मुख्य वक्ता विभाग संघचालक जयपाल सिंह, महिला मोर्च जिलाध्यक्ष श्रीमती कृष्णा राणा, पूर्व ब्लॉक प्रमुख श्रीमती सुलोचना गौड़, अवतार सिंह रावत, सीताराम गौड़, सभासद संजय अग्रवाल, त्रेपन असवाल, प्रवेश रावत
नगर मंत्री अंजली पंवार ,तरवीन राणा प्रांत सह सोशल मीडिया प्रमुख, अंकुश राणा नगर विस्तारक रुड़की, राकेश नेगी जिला संयोजक, नितिन चौहान जिला सह संयोजक, रोहित रावत नगर मीडिया प्रभारी, रामवीर रावत प्रांत कार्यकारणी सदस्य,
अंकित जगुड़ी, गौरव राणा, कुसुम रावत, सीमा चौहान, रेखा, दीपका, गौतम गुप्ता , संजय अग्रवाल जी भगवती प्रसाद जी, रामस्वरूप जी, नमो भंडारी, आजाद राणा आशुतोष आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
टीम यमुनोत्री Express