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बाबा बौखनाग राजकीय मेले को लेकर यमुना घाटी और गंगा घाटी में उत्साह का माहौल 11गते मंगसीर सेम नागराज की तर्ज पर होने वाले मेले को‌‌ लेकर श्रद्वालुओं में अपार श्रद्वा…पढें।

उत्तरकाशी /अरविन्द थपलियाल। जनपद के रवांई घाटी के बौख टिब्बा में 11गते होने वाले बाबा बौख नाग के राजकीय मेले को लेकर भक्तों में भारी उत्साह है।
एक वर्ष सेम नागराज और एक वर्ष बाबा बौख नाग का मेला होता है यानी तीसरे वर्ष हो रहा है बाबा का यह मेला।
प्रधान ग्राम पंचायत कफनौल चंद्रशेखर पंवार ने बताया कि बाबा बौख का का मेला सबसे अधिक उच्च पर्वत बौख टिब्बा पर बाबा का मंदिर है, जिसे बौख नाग टिब्बा तीर्थ धाम भी कहा जाता है। बौख टिब्बा के डांडे पर स्थित धुव्र कुण्ड, रूपनेल सौड़ , मोराटू सौड, हिसाडू सौड, बड-थातर, ओडारका, खुडाटुका आदि अनेक सुंदर स्थलों का मनमोहक बिहंगम दृश्य है।
प्रत्येक तीसरे वर्ष गंगा-यमुना घाटी के मध्यस्थ बौख टिब्बा मेला लगता है जिसकी अपनी एक पौराणिक मान्यता है।
पौराणिक शास्त्रों में जनश्रुतियो के अनुसार महाभारत काल के समय कौरव-पांडवों का युद्व समाप्ति के बाद भगवान श्री कृष्ण शांति के लिए पहाडो कि तरफ रूख किया था, भगवान सीधे पहले अपने सारथी मे सवार होकर बौखनाग टिब्बा (पर्वत) उच्च स्थल पर पहुचे जहा अब बौखनाग मदिर बना है कुछ अंतराल भगवान श्री कृष्ण ने बौखनाग टिब्बा पर्वत रहे थे,भगवान ने यहा बासुरी की धुन से एक नाग की उत्पत्ति की जिसे बासुरिया नाग से जाना गया बाद में इसी नाग का नाम बौख नाग पडा फिर वहा से भगवान श्री कृष्ण जी ने समान ऊंचाई वाले पर्वत स्थल पर गये जिसका नाम सेममुखीम था।
बयोवृद्व पुजारी शिबशरण डिमरी और देव‌ माली संजय डिमरी बतातें हैं कि बौख डांडा पर श्री कृष्ण के चरण पड़ने से अति पवित्र हुआ, जहा हजारो भत्त दर्शन के लिय जाते है बौख डांडा से मां यमुना मां गंगा दोनों के दर्शन होते हैं।
बाबा बौखनाग की दिब्य मूर्ति पौराणिक काल मे सर्व प्रथम कफनौल गांव में हल चलाते हुये उदगम हुयी थी जैसे मूर्ति भूमि से ऊपर निकाली गयी तुरंत उसी स्थल पर पानी का उद्वगम हुआ उसी स्थल पर ग्रामीणों द्वारा बौख नाग मंदिर बनाया गया बाबा बौख नाग के देवदूत चेडा महाराज है जो हर समय साथ रहते है बाबा बौखनाग जी का वर्षीक मेला बडकोट पट्टी,मुंगरसंती पट्टी मे जेष्ठ माह मे 14 जून से प्रारम्भ होते हैं जो क्रमश वयोबृद्व पुजारी बतातें हैं कि भाटिया ,कंसेरू,उपराडी ,साडा ,चद्रेश्वर महादेव बडकोट बाजार,चक्रगांव,कृष्णा,कुण्ड एवं बिंगशी आदि गांवों मे लगता है।
बाबा बौख नाग के चार मुख्य थान है कफनौल,भाटिया,कंसेरु एवं नंदगांव जहां बाबा एक से दो वर्ष निवास करते हैं।
बाबा बौख नाग के मुख्य पुजारी ग्राम गांव भाटिया के डिमरी जाति के पंडित है जो कि बद्रीनाथ के मूल पुजारी माने जाते हैं।
इस बार बाबा बौख नाग मेले‌‌ को राजकीय मेला घोषित कर दिया गया मालूम हो कि पिछले‌ वर्ष 2023में सिलक्यारा टनल में फंसे 41मजदूरों के जान बचाने में‌ बाबा बौखनाग महाराज ने जो पर्चा दिखाया उसने बाबा की ख्याति पूरे‌ देश‌‌ और दुनियां में प्रसिद्व‌ हो गई उसके बाद बाबा बौखनाग ने अयोध्या की यात्रा करने‌ के बाद अब 11गते मंगसीर बौख टिब्बा पर‌ मेला होगा जिसके एक दिन पहले मोराल्टू‌ में‌ देव डोलियों संगम होगा।

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