बड़कोट/ अरविन्द थपलियाल।जनपद उत्तरकाशी के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान बड़कोट में शिक्षण की स्थानीय भाषाओं में निर्मित बाल गीतों, बाल प्रार्थनाओं, बाल कहानी तथा लोरियों की लयबद्धिकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें जनपद के विभिन्न विकासखंडो से आये शिक्षक- शिक्षकाओ तथा स्थानीय लोक कलाकारों ने प्रतिभाग किया, कार्यक्रम के समन्वयक शांति रतूड़ी ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखंड देहरादून के दिशा निर्देशन में संस्थान द्वारा जनपद उत्तरकाशी के शिक्षकों के सहयोग से पूर्व प्राथमिक तथा प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों के लिए जनपद उत्तरकाशी की मुख्य लोक भाषाओं (गढ़वाली, रंवाल्टी, बंगाणी, जाड तथा पर्वती भाषा में) में बाल गीत, बाल प्रार्थना, लोरी एवं बाल कहानियां निर्मित की गई है, इसी कार्यक्रम के अगले चरण में इन स्थानीय भाषा की रचनाओं को बच्चों के बालमन के अनुरूप ढालने के प्रयास के रूप में इस कार्यशाला में स्थानीय भाषा के बाल गीत, बाल प्रार्थना तथा लोरियो का लयबद्धिकरण किया गया और इन्हें लोकप्रिय धुन तथा आवाज़ देने का प्रयास किया गया….. 5 लोक भाषाओं को समाहित करती यह संभवतः प्रदेश की पहली नावाचारी कार्यशाला है जिसमें स्थानीय लोक कलाकारों के साथ ही शिक्षक -शिक्षिकाओं ने अपनी आवाज़ में इन स्थानीय भाषाओं के गीतों को गया, इन गीतों की रिकॉर्डिंग का कार्य भी किया गया ये बाल गीत जल्दी ही जनपद के समस्त आंगनबाडी केंद्रों तथा प्राथमिक विद्यालयों को उपलब्ध करवाये जायेंगे ताकि बच्चे स्थानीयता से और अधिक जुड़ाव महसूस कर सकें, संस्थान के प्राचार्य संजीव जोशी ने बताया कि इस नावाचरी पहल को बालवाटिका के बच्चों तथा
एफ. एल. एन. के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है साथ ही जनपद की विभिन्न स्थानीय भाषाओं के संवर्धन में यह प्रयास मील का पत्थर साबित होगा, कार्यशाला में जनपद उत्तरकाशी के विभिन्न स्थानीय भाषा सन्दर्भ समूह के अतिरिक्त लोक कलाकार अनिल बेसारी, सुन्दर प्रेमी, एवं गजेंद्र सिंह रावत जी मौजूद रहें