बड़कोट : विकास खंड नौगांव क्षेत्र के ग्राम धारी पल्ली में चल रही सप्ताहिक श्रीमद भागवत कथा और देवी भागवत का समापन सोमवार को हो गया। कथा के समापन के बाद हवन यज्ञ और भंडारा हुआ। इसमें शामिल होने वाले श्रद्धालुओं ने जयकारे भी लगाए। भागवत कथा का आयोजन धारी गांव में श्रीमती चन्द्रकला व उनके परिवार की ओर से कराया गया। कथा समापन के बाद आयोजक परिवार समेत गांव के लोगो ने हवन किया। प्रसिद्धव्यास व कथावाचक आचार्य पं .जगदीश प्रसाद खंडूड़ी ने कहा कि भागवत महापुराण में सभी वेदों की व्याख्या की गई है। इसमें सभी भक्तों के लिए संपूर्ण ज्ञान का सागर विराजमान है। मनुष्य को ज्ञान सागर में जाने के लिए माध्यम की जरूरत होती है इसलिए संतों द्वारा दी गई शिक्षा को हृदय में उतार लें। संतों के माध्यम से ही परमात्मा की प्राप्ति करने का मार्ग खुल सकता है।
हवन के दौरान कथा व्यास पंड़ित जगदीश प्रसाद खंडूड़ी जी ने कहा कि आत्मा को जन्म व मृत्यु के बंधन से मुक्त कराने के लिए भक्ति मार्ग से जुड़कर सत्कर्म करना होगा। कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है।
व्यास पीठ पर आचार्य प.अमित डोभाल ने देवी भागवत पुराण को लेकर कहा कि देवी भागवतम, भागवत पुराण, श्रीमद भागवतम और श्रीमद देवी भागवतम के नाम से भी जाना जाता है, एक संस्कृत पाठ है और हिंदू धर्म के अठारह प्रमुख पुराणों में से एक है। पाठ को देवी उपासकों के लिए एक महापुराण माना जाता है। . यह पुराण परम पवित्र वेद की प्रसिद्ध श्रुतियों के अर्थ से अनुमोदित, अखिल शास्त्रों के रहस्यका स्रोत तथा आगमों में अपना प्रसिद्ध स्थान रखता है। यह सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, वंशानुकीर्ति, मन्वन्तर आदि पाँचों लक्षणों से पूर्ण हैं। पराम्बा भगवती के पवित्र आख्यानों से युक्त है। इस पुराण में लगभग १८,००० श्लोक है।
उन्होंने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन करते हुए कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। कथा समापन के दिन सोमवार को विधिविधान से पूजा करवाई दोपहर तक हवन किया गया। बाद में प्रसाद वितरित हुआ। इस मौके पर श्रीमती चंद्रकला, सुशील डोभाल, अनिल डोभाल, नेत्रमणि, रतन मणि ,ग्राम प्रधान विशाल मणि ,साधु राम डोभाल, विपिन थपलियाल, शशि मोहन थपलियाल, मुकेश डिमरी ,रामेश्वर प्रसाद, देव प्रसाद उनियाल, सूरज मणि थपलियाल ,बृजमोहन रतूड़ी,पैन्यूली ,दिनेश उनियाल, केशवानंद,खुशी नौटियाल,सुनीता नौटियाल,मदन नौटियाल,नरेश नौटियाल, सुनील थपलियाल,भगवती ,विनोद,जगदीश प्रसाद सहित समस्त ग्रामवासी क्षेत्रवासी मौजूद थे।
टीम यमुनोत्री Express