यमुनोत्री express ब्यूरो
उत्तरकाशी
नमामि गंगे उत्तराखंड जल शक्ति मंत्रालय के तत्वावधान में नौला फाउंडेशन के सहयोग से अस्सीगंगा घाटी के दुर्गम विद्यालय राजकीय इंटर कालेज भंकोली में हरेला बायोडायवर्सिटी महोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें जल स्रोतों के संरक्षण व जैविक खेती पर संगोष्ठी, निबंध तथा चित्रकला प्रतियोगिताओं में सर्वश्रेष्ठ छात्रों व प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर प्रधानाचार्य कामदेव सिंह पंवार ने कहा कि वर्षाजल एक अनमोल प्राकृतिक उपहार है जो प्रतिवर्ष लगभग पूरी पृथ्वी को बिना किसी भेदभाव के मिलता रहता है। परन्तु समुचित प्रबन्धन के अभाव में वर्षाजल व्यर्थ में बहता हुआ नदी, नालों से होता हुआ समुद्र के खारे पानी में मिलकर खारा बन जाता है। हमारे देश में जल संचय की परम्परा थी तथा वर्षाजल का संग्रहण करने के लिये लोग प्रयास करते थे। इसीलिये कुएँ, बावड़ी, नौला, तालाब, नदियाँ आदि पानी से भरे रहते थे। इससे भूजल स्तर भी ऊपर हो जाता था तथा सभी जलस्रोत रिचार्ज हो जाते थे। परन्तु मानवीय उपेक्षा, लापरवाही, औद्योगीकरण तथा शहरीकरण के कारण ये जलस्रोत मृत प्रायः हो गए। कई जलस्रोत तो कचरे के गड्ढे के रूप में बदल गए। कई जलस्रोतों पर अवैध कब्जे हो गए। मिट्टी और गाद भर जाने से उनकी जल ग्रहण क्षमता समाप्त हो गई और समय के साथ वे टूट-फूट गए। अभी भी समय है कि इनमें से कई परम्परागत जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने का प्रयास करके उन्हें बचाया जा सकता है। वर्षाजल के संचय से इन जलस्रोतों को सजीव बनाया जा सकता है। इस अवसर पर शिक्षक सुदीप सिंह रावत, महेश चंद्र उनियाल, माधव अवस्थी, स्पन सिंह चौहान, सुभाष कोहली, रमेश नाथ, ज्ञानचंद पंवार, अनुपम ग्रोवर, दीपेन्द्र, अर्चना पालीवाल, मनीषा, दीप्ति व नोडल समन्वयक डॉ शम्भू प्रसाद नौटियाल आदि उपस्थित थे।