उत्तरकाशी।
रंवाई घाटी की प्रसिद्ध डांडा की जातर यानी देवराना मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े।
जातर में श्रद्धालुओं को रंवाई की समृद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिली। देवराना में प्रति वर्ष आराध्य देव रुद्रेश्वर महाराज के नाम से 65 गाँव का सामूहिक मेला लगता है जिसे स्थानीय भाषा में डांडा की जातर कहते हैं। यह मेला घाटी का सबसे बड़ा मेला होता है जिसमे बड़ी संख्या में श्रद्धालु पांच किमी की पैदल दूरी नाप कर अपने आराध्य के दर्शन करने देवराना पहुंचते हैं और नाच गाना कर मेले का आनन्द लेते हैं। शदियों से चली आ रही परम्परानुसार अपराह्न चार बजे परम्परानुसार रुद्रेश्वर देवता के पुजारी अमन सेमवाल ने मन्दिर के ऊपर बने लकड़ी के शेर की पीठ पर चढ़ कर अपनी छाती से बन्धी रुद्रेस्वर देवता की मूर्ती को गाय के दूध का स्नान करवा कर श्रद्धालुओं को दर्शन करवाये। इससे पूर्व गढ़ के हुड़कियों ने महाराज की ऐतिहासिक गाथा सुना कर मन्त्र मुग्ध किया। डांडा की जातर में रंवाईघाटी, कमल सिराईं, दशकी बनगाँव तथा जौनसार से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। वर्ष 2020 और 21 में कोविड महामारी के कारण लगातार दो वर्ष मेले का आयोजन नही हो पाया था इसलिए इस वर्ष श्रद्धालुओं में डांडा की जातर के लिए उत्साह दिखा। डांडा की जातर में दूरस्थ गाँव से बड़ी संख्या में महिलाएं चूड़ी बिंदी सहित कई तरह का श्रृंगार की खरीददारी कर जलेबी और पकोड़ी का भी आनन्द लेती हैं। इस दौरान केंद्रीय समिति के अध्यक्ष जगमोहन परमार, थानाध्यक्ष पुरोला अशोक कुमार, व्यापार मण्डल अध्यक्ष जगदीस असवाल, जगमोहन चन्द, सुमन प्रसाद नौटियाल,संकित थपलियाल, कनिष्ठ उप प्रमुख दर्शनी नेगी, पूर्व प्रधान कंडाऊं सुनीता नौटियाल,आदि उपस्थित रहे।
आज से शुरू होगी मेलों की शृंखला
रंवाईघाटी की मुंगरसन्ति पट्टी में आज से मेलों की सुरुआत।
टीम यमुनोत्री Express