सुनील थपलियाल उत्तरकाशी ।
प्रधानमंत्री की ड्रीम योजना गरीबों को मिले बेहतर गुणवत्ता पूर्ण चावल, लेकिन विकासनगर के मुख्य गोदाम से यमुना घाटी के आधा दर्जन गोदामो में गुणवत्ताविहीन राशन व चावल भेजा जा रहा है। जानकार तो यह भी बताते हैं कि यह गोरखधन्धा केवल यमुना घाटी में नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में चल रहा है लेकिन आम तौर पर लोग इस बात के अभ्यसत हो गए हैं कि जो मिल रहा है, उसी को नियामत समझ ले, शिकायत करेंगे तो जो मिल रहा है, वह भी जान्च में उलझ जाएगा और समस्या पैदा हो जाएगी।
मामला इस कदर गंभीर है कि अगर ईमानदारी से पड़ताल की जाए तो प्याज के छिल्के की तरह कई लोग सवालों के घेरे में आ सकते हैं लेकिन सिस्टम के मायाजाल में सब लोग आँख मूंद कर मौन साधे हैं।
जानकारी के अनुसार खाद्यान्न विभाग के डिप्टी कमिश्नर की पूरी टीम ने घटिया चावल के बोरो से भरे चार ट्रकों को वापस भेजा परन्तु संलिप्त दोषी अधिकारी व कर्मचारी के खिलाप कार्यवाही न होने से आम लोगो मे भारी आक्रोश व्याप्त है। सवाल तो यह उठ रहा है कि गोलमाल के इस धंधे की लीपापोती में जितनी तत्परता दिखाई गई, सिस्टम को दुरुस्त करने में क्यों नहीं दिलचस्पी दिखाई? बाकी शिकायतों पर तो अफसर कान नहीं देते, इस मामले में कैसे तमाम अफसर एक साथ नजर आए। शासन में बैठे लोगो को इस तरफ देखने की फुरसत कहां है?
मालूम हो कि यमुनाघाटी में लंबे समय से घटिया चावल की सप्लाई विकासनगर मुख्य गोदाम से की जा रही थी। बीती 22 मार्च को प्रभारी तहसीलदार ने अपनी टीम के साथ खराब चावल की खेप को पकड़ा था, उसके बाद 23 मार्च को खाद्यान्न विभाग के डिप्टी कमिश्नर विपिन कुमार, जिला पूर्ति अधिकारी संतोष कुमार भट्ट, उपजिलाधिकारी शालनी नेगी , जिला खाद्य सरंक्षा अधिकारी अश्वनी सिंह, सीनियर मार्केटिंग आफिसर श्रीमती रंजना सिंह ने उक्त शिकायत को सही पाते हुए सैम्पलिंग करवाई थी और डिप्टी कमिश्नर ने सीनियर मार्केटिंग आफिसर श्रीमती सिंह की देखरेख में घटिया चावलों से भरे लगभग 1200 बोरों के चार ट्रकों को विकासनगर वापस भेजा था, लेकिन एक सप्ताह बीतने के बाद भी खाद्यान्न विभाग के मार्केटिंग विंग के दोषी अधिकारी व कर्मचारियों पर कार्यवाही नही की गई, जिससे क्षेत्र के लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है। यहाँ फिर वही सवाल उठ खड़ा होता है कि आखिर यह रिश्ता क्या कहलाता है? क्या जिम्मेदार लोग इसका जवाब देने की स्थिति में हैं और दूसरे अगर यह कोयले की कालिख है तो किस किसके हाथ इसमें सने हुए हैं। इसके अलावा क्या धवल छवि वाले सीएम इस ओर कभी देखेंगे भी या यह सब पूर्ववत चलता रहेगा?
जबकि दूसरी ओर जांच टीम भी सवालों के घेरे में है जिस गोदाम से एक घटिया चावल पहाड़ों को भेजा गया था उस गोदाम के इंचार्ज हैं रंजना सिंह और रंजना सिंह को ही जांच टीम के साथ जांच अधिकारी बना कर भेज दिया गया और तो और एक ठेकेदार प्रदीप माहवार और बद्री राईस मील के मालिक श्री गुप्ता भी बड़कोट पहुँच गये। आखिर इस खेल में कालिक तो दिखती है। यानी दाल पूरी तरह घटिया चावलों की तरह काली नजर आ रही है।
बताते चलें बीती 23 मार्च को उपजिलाधिकारी शालनी नेगी व मीडियाकर्मियों के सम्मुख डिप्टी कमिश्नर विपिन कुमार ने चावलों के सैम्पलिंग की रिपोर्ट 24 घण्टे के भीतर आने की बात कही थी। उसको भी हफ्ता भर होने को है परन्तु खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा सैम्पलिंग रिपोर्ट का खुलासा अब तक नही किया गया। इस हालत में यह अंदेशा बढ़ गया है कि शायद ही कभी इस घपले की परते खुलें। सच तो यह है कि मौजूदा हालत को देख यह संदेह स्वाभविक रूप से उपजने लगा है कि कहीं विभाग के उच्च अधिकारी मामले की लीपापोती में तो नहीं जुटे हुए हैं। दरअसल 23 मार्च की जांच में खाद्यान्न विभाग व प्रशासन के सम्मुख बिना टैग लगे चावल के बोरो में घटिया व खराब चावल देखे गये थे जिसे वापस लौटा दिया गया। डिप्टी कमिशनर विपिन कुमार द्वारा यमुना घाटी में आने वाले राशन के वाहनों में चालक के पास चावल के शीलबन्द सेंपल भेजने के निर्देश दिए थे और पूर्ति निरीक्षक उक्त सेम्पल से ट्रक के भीतर चावल के बोरो से मिलान कर सही पाये जाने पर ही रिसीव करेंगे। हुआ भी यही कि दो दिन बाद घटिया चावल को विकासनगर छोड़ने के बाद वापस ट्रकों में सैम्पल के साथ चावल आये उसमें टैग लगे चावल के बोरों से शीलबन्द सैम्पल से मिलान हो गया परंतु बिना टैग के बोरों से उक्त सैम्पल का मिलान नहीं हुआ।
यानी कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का गरीबों को साफ सुथरा गुणवत्तापूर्ण चावल पहुन्चाने की मंशा को खाद्यान्न विभाग की मार्केटिंग विंग पलीता लगाने में जुटी है। गरीबों को घटिया चावल खिलाया जा रहा है। सामाजिक चेतना की बुलन्द आवाज “जय हो” ग्रुप के संयोजक सुनील थपलियाल, कोषाध्यक्ष मोहित अग्रवाल, एडवोकेट विनोद विष्ट, आशीष, विनोद नौटियाल, गिरीश, सुरेश, महिताब, दीनानाथ, शैलेन्द्र, रजत सहित आम उपभोक्ताओं ने केंद्र व राज्य सरकार से मांग की है कि गरीब जनता के जीवन से खिलवाड़ करने वाले विकासनगर मुख्य गोदाम में विपणन/ख़रीद परोख्त विंग के जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाय । साथ ही यमुनाघाटी के गोदामों में बिना टैग लगे सैकड़ो कुंतल चावल के बोरों को वितरण से रोका जाए, ताकि गरीबों के स्वास्थ्य को बचाया जा सके।
इधर जिला पूर्ति अधिकारी संतोष कुमार भट्ट ने बताया कि यमुना घाटी के सभी खाद्यान्न गोदामों का स्थलीय निरीक्षण किया जायेगा। उसमें अगर खराब चावल मिला तो उसे किसी भी हाल में वितरण नही किया जायेगा। आगे से विकासनगर से आने वाला राशन सैम्पल के साथ आयेगा। अगर सैम्पल से उक्त राशन के ट्रक का मिलान नहीं होगा। उसे वापस लौटा दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि आम पब्लिक को बेहतर राशन उपलब्ध करवाना विभाग का लक्ष्य रहता है। देखना यह है कि जनता के स्वास्थ्य को महत्व मिलता है या सिस्टम को?
टीम यमुनोत्री Express