– गणेश खुगसाल गणी
गढ़वाली गीत संगीत और रंगकर्म के अदभुत लोक कलाकार रामरतन काला का अवसान गढ़वाली हास्य कला के एक युग का अवसान है. उनकी अभिनय क्षमता अदभुत और अनूठी थी. आकाशवाणी के रा रा दा ने आकाशवाणी नजीबाबाद के ग्राम जगत कार्यक्रम को नई ऊंचाई दी थी. वे लाजवाब गायक भी थे उनका ‘ब्योलि खुज्ये द्यावा ब्योला बणै द्यावा ‘ गीत एक समय आकाशवाणी से सर्वाधिक प्रसारित होने वाले गीतों में एक रहा. नरेंद्र सिंह नेगी जी के गीत -“दरोल़्या छौं न भंगुल्या भंगल्वड़ा धोल़्यूं छौ कैमा ना बोल्यां भैजी सैणि को मर्यूं छौं ” में काला जी के अभिनय का कोई जवाब नही था. ललितमोहन थपलियाल जी का “खाडू लापता” नाटक जैसे उन्ही को केन्द्र में रखकर लिखा गया हो ऐसा अभिनय करते थे काला जी.अपने लोक के अदभुत मंचीय कलावंत काला जी का कालकवलित होना गढ़वाली रंगमंच की बहुत बड़ी क्षति है.
आप, आपके गाये गीतों और आपके द्वारा किये गये अभिनय से हमेशा याद आओगे.
विनम्र श्रद्धांजलि.
टीम यमुनोत्री Express