बड़कोट/अरविन्द थपलियाल।जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान बड़कोट उत्तरकाशी में आज टीचर एडुकेटर फोरम की एक बैठक सम्पन्न हुई। फोरम द्वारा डायट में खुली विज्ञप्ति एवं चयन के माध्यम से पदस्थापित शिक्षकों को महानिदेशक के पत्रानुसार प्रतिनियुक्ति मानने के प्रति हैरानी व्यक्त की गई, यह सर्वविदित है कि प्रतिनियुक्ति होने पर भत्ते,समय आदि की सेवा शर्तें होती हैं जबकि डायट में एन सी टी ई के मानकानुसार माध्यमिक शिक्षक से उच्च योग्यताधारी शिक्षकों को खुली विज्ञप्ति एवं चयन के माध्यम से आमंत्रित किया जाता है,
फोरम के जिला अध्यक्ष शांति रतूड़ी ने कहा कि शिक्षक शिक्षा के नियोजित एवं समन्वित विकास तथा शिक्षक शिक्षा के मानदंडों और मानकों के विनियम एवं संचालन के लिए 17 अगस्त 1995 को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE ) का गठन किया गया, उत्तराखण्ड राज्य के गठन के वाद राज्य के प्राथमिक स्तर तक के सेवापूर्व एवं सेवारत शिक्षकों के प्रशिक्षणों को अधिक गुणवत्ता पूर्ण बनाने के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप शिक्षकों को चयनित कर इन संस्थानों में पदस्थापित किया गया, सर्व प्रथम वर्ष 2003 में तथा उसके बाद वर्ष 2006, 2016 तथा फिर 2021-22 में, शिक्षा विभाग द्वारा खुली विज्ञप्ति के माध्यम से माध्यमिक शिक्षा विभाग से शिक्षकों को चयन कर SCERT तथा डायट में पदस्थापित किया गया,
डायट में शिक्षकों को NCTE के मानकों के अनुरूप चयनित कर पदस्थापित करने का एक कारण वर्ष 2012 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा निर्गत दिशानिर्देश भी थे जिसमें डायट के शिक्षकों के लिए पृथक संवर्ग के गठन के बाद ही केन्द्रपुरोनिधानित शिक्षक शिक्षा योजना के अन्तर्गत केन्द्रान्श देने का उल्लेख किया गया, राज्य सरकार द्वारा उक्त निर्देश के क्रम में वर्ष 2013 में शासनादेश जारी कर डायट के शिक्षकों के लिए अलग संवर्ग गठन कर भारत सरकार से अद्यतन केंद्रांश की राशि प्राप्त की जाती रही है साथ ही इन संस्थानों में मानकों के अनुरूप चयनित शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता के आधार पर ही राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा डी. एल०एड० को मान्यता प्रदान की गई है।
राज्य गठन के बाद वर्ष 2003 से लगभग 15 वर्षों तक डायट में केवल चयनित शिक्षकों को ही पदस्थापित किया जाता रहा तथा इन शिक्षकों को आवश्यकतानुसार इन्हीं संस्थानों में स्थानांतरण की व्यवस्था की गई। माननीय उच्च न्यायालय में भो याचिका निर्णयाधीन है। अतः विभाग के शीर्ष पर बैठे जिम्मेदार लोगों को ऐसा माहौल नहीं बनाना चाहिए जिससे इन संस्थानों में कर्मठता से कार्य करने वाले कार्मिको के मन में असमंजस की स्थिति पैदा हो, इस अवसर पर संस्थान के प्राचार्य श्री संजीव जोशी के माध्यम से महानिदेशक, विद्यालयी शिक्षा उत्तराखंड, देहरादून को उक्त विषयक ज्ञापन भी दिया गया इस अवसर पर संस्थान के प्रवक्ता संजय भट्ट, शान्ति रतूड़ी, टीकाराम रावत,बबिता सजवाण, गोपाल राणा सहित तमाम लोग उपस्थित थे