उत्तरकाशी/ अरविन्द थपलियाल।यमुनाघाटी में मंगसिर की बग्वाल देवलांग पर्व के रूप में मनाया जाता है,रवांई घाटी के गैर गावं में देवलांग के रूप में मनाये जाने वाले त्यौहार में हजारो की संख्या में लोग राजा रघुनाथ मंदिर में पहुंचकर इस पर्व को मनाते है, देखिये सदियो से चली आ रही परम्परा को लोग किस अनोखे अंदाज में मनाते है।
हजारों की संख्या में लोगो की यह भीड़ एक अनोखे पर्व को मनाने के लिए एकत्रित है एक अनोखे त्यौहार को मनाने में लोग आस पास गावं के अलावा दूर दूर से पहुंचते है यह तस्वीर है यमुना घाटी के गैर गावं की है जहा दिवाली के एक माह बाद देवलांग पर्व के रूप में दिवाली यानी मंसिर बग्वाल मनाई जाती है रात से शुरू होकर सुबह तक राजा रघुनाथ मंदिर प्रागंण में लोग उत्सव मनाने का बेसब्री से इन्तजार करते है और उजाला होने से पहले एक देवदार के विशालकायी पेड़ को जंगल से लाकर मंदिर में साठी और पन्साही दो समूह शक्ति बल दिखा कर खड़ा करते है, इसके बाद विधि विधान और मन्नतो और बुराई में अच्छाई की जीत के साथ पेड़ को आग के हवाले कर पेड़ के जलने का इन्तजार कर जलते ही राख को प्रसाद और आशीर्वाद के रूप में घर लेकर जाते है, जंगल से देवदार की लांग जिसकी चोटी टूटी न हो उसे लेकर लाया गया और देवलांग को मंदिर के आगे खड़ा कर पर्व को विधिवत मनाया गया है।
सदियों से चली आ रही मान्यता के अनुसार श्रीराम चन्द्र जी के अयोध्या में विजय प्राप्ति कर पहुँचने का संदेश यमुना घाटी में एक माह बाद पहुंचा था जिसका उत्सव देवलांग के रूप में दिवाली के ठीक एक माह बाद बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, यमुना घाटी में मुख्य रूप से गैर, गंग्टाडी और कुथनौर गावं में देवदार की लांग को खड़ा कर पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है|
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पंहुचे पुरोला विधायक दुर्गेश्वर लाल पंहुचे और विधायक ने सभी मेलार्थियों को बधाई दी इस अवसर पर मेला समिति अध्यक्ष प्रदीप गैरोला,देव पुरोहित महिधर गैरोला, सहित हजारों श्रद्धालुओं ने राजा रघुनाथ महाराज से मन्नत मांगी और मेले के साक्षी बने।