यमुनोत्री/उत्तरकाशी/ अरविन्द थपलियाल।विश्व प्रसिद्ध श्री यमुनोत्री धाम के कपाट भय्या दूज के पावन पर्व पर शीतकाल के लिए वैदिक मन्त्रोचारण के साथ बन्द कर दिये गये है, मां यमुना की उत्सव डोली भोगमूर्ति के साथ तीर्थ पुरेाहितों के गांव खरसाली गांव समेश्वर देवता की अगवाई में लायी गयी, जंहा पर शीतकाल के छः माह मां यमुना की पूजा अर्चना की जायेगी, कपाट बन्द होने के अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने शिरकत कर पुण्य के साक्षी बने, गंगोत्री धाम के कपाट बन्द होने के बाद यमुनोत्री धाम के कपाट रविवार को भय्या दूज यानी यमद्वितीया पर्व पर दोपहर ठीक 12 बजकर 05 मिनट पर देश विदेश के आम श्रद्वालुओं के लिए बन्द कर दिये गए, कपाट बंद की प्रक्रिया में यमुनोत्री मन्दिर समिति, तीर्थ पुरोहितों, यमुनोत्री विधायक, उपजिलाधिकारी बडकोट की मौजूदगी में कपाट बन्द हुए, मां यमुना की सुबह से पुजा अर्चना शुरू हो गयी थी और खरसाली गांव से समेश्वर देवता की डोली मां यमुना को लेने यमुनोत्री धाम पहुंची, पुरोहितों द्वारा यमुना स्त्रोत नाम पाठ, यमुना आरती सहित हवन होने के बाद समेश्वर देवता की अगवाई में मां यमुना की उत्सव डोली खरसाली गावं आज ही लायी जा रही है, अब 6 माह शीतकाल में मां यमुना की पुजा अर्चना खरशाली शीत कालीन यमुना मन्दिर में की जाएगी, यही वजह है कि यमुनोत्री धाम पहुंचकर जो भी प्राणी मां यमुना के दर्शन व स्नान करता है, उसे यमफंद से तो मुक्ति मिलती ही है, साथ ही शनि की वक्र दृष्टि से भी राहत मिलती है। यमुनोत्री धाम में यम द्वितीया के दिन साथ स्नान करने वाले भाई-बहिनों को भी जन्म-जन्म का बंधन प्राप्त होता है, जिसके चलते यम द्वितीया पर प्रतिवर्ष भाई- बहिनों के जोड़े स्नान को पहुंचते हैं, इधर खरशाली गाव में ग्रामीण माँ यमुना की डोली आते ही उत्सव मनाते है।
इस मौके पर यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल, मंदिर समिति सचिव सुरेश उनियाल,बृजेश कुमार तिवारी (अध्यक्ष मन्दिर समिति),पुरूषोतम उनियाल (तीर्थ पुरोहित) सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।