नौगांव/ अरविन्द थपलियाल।रवांई घाटी में आषाढ संक्रांति से बाबा बौख नाग देवता के गृभगृह से निकलने के बाद अब धार्मिक और पौराणिक मेलों का आगाज हो चुका है।
रवांई क्षेत्र अपनी सांस्कृतिक और दैविक विरासत के लिये अपने आप आपको संजोये हुई है।
मालूम हो कि महाराज रूद्रेश्वर महादेव बजलाडी़ थान से 22जुन को अपने गृभगृह से अपने भक्तों को दर्शन देंगे और वहां हजारों की संख्या में भक्त विराजमान रहेंगे।
रूद्रेश्वर महादेव रवांई क्षेत्र के लगभग 65गांव के आराध्य देव हैं और लोगों की आस्था के केंद्र हैं।
22जुन को गृभागृह से बहार आने के बाद रूद्रेश्वर महादेव रवांई के सुप्रसिद्ध पौराणिक और धार्मिक मेलें डांडा “देवराणा”जांयेगे जहां देवदार के संघन वन में रूद्रेश्वर महादेव का पौराणिक मेला हजारों भक्तों के सानिध्य में होता है।
देवराणा मेला हमारे पुरखों की धरोहर है और पौराणिक सांस्कृतिक का महत्व यहां खासतौर पर अपने आप में महत्वपूर्ण है।
देवराणा मेलें में सबसे आकर्षक और यहां का महात्म्य यह है कि रूद्रेश्वर महादेव का मुख्य पासवा नाग मुडेंई यानी मंदिर के ऊपर बने शेर के ऊपर बैठकर भक्तों को दर्शन देंते हैं और लोग इच्छा अनुसार रूद्रेश्वर महादेव से मन्नत मांगते हैं।
बतादें कि रूद्रेश्वर महादेव के चार थान हैं बजलाडी़ तियां,कंडाऊं और देवलसारी महादेव यहां बारी बारी से एक वर्ष विराजतें हैं।
हांलांकि समिति और क्षेत्रीय कमजोर प्रतिनिधित्व के कारण देवराणा मेला राजकीय मेला नहीं घोषित हो लेकिन पौराणिक और धार्मिक महत्व अपने आप में महत्वपूर्ण है।
अब इसी सिलसिले में रंवाई में लगातार देवी देवताओं के मेलें हैं।
दारसौं में धयेश्वर नाग देवता का और खाटल में छलेश्वर महादेव और दसगी मे सिद्धेश्वर महादेव का मेला यहा सभी देवता मुल में बहार आतें हैं और एक माह भ्रमण करतें हैं और यात्रा पर भी जातें हैं।
यही हमारे रवांई की खूबसूरती है तो आप आओ 23जुन को डांडा देवराणा मेला।