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उत्तरकाशी बड़ी खबर राज्य उत्तराखंड

डिग्री कालेज मंगलौर हरिद्वार में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में भारतीय ज्ञान और परंपराओं पर हुआ मंथन।

 

 

 

 

 

 

हरिद्वार।राजकीय महाविद्यालय मंगलौर हरिद्वार में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के द्वितीय दिवस पर अंग्रेजी विभाग द्वारा आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि डा. अन्जू भट्ट एसोसिएट प्रोफेसर राजकीय महाविद्यालय बडकोट, विशिष्ट अतिथि डा. पारूल मिश्रा, असि. प्रो. श्री देव सुमन विश्वविद्यालय ऋषिकेश परिसर एवं डा. अन्जना शर्मा असिस्टेंट प्रोफेसर राजकीय महाविद्यालय नैनीडांडा ने दीप प्रज्जवलित कर गोष्ठी का शुभारंभ किया।इसके उपरान्त संगोष्ठी की संचालिका एवं समन्वयक डा. प्रज्ञा राजवंशी राष्ट्रीय संगोष्ठी की समन्वयक डॉ० प्रज्ञा राजवंशी ने संगोष्ठी के पहले दिन के समस्त कार्यक्रमों की एक संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की । सर्वप्रथम व्याख्यान हेतु आमंत्रित विशिष्ट अतिथि डा.अन्जना शर्मा कहा कि आजकल हम तकनीकी के दास बनते जा रहे है, आज की तकनीकी हमारे ऊपर हावी होती जा रही है इस आधुनिकता ने हमारी जड़ों को हिलाने का काम किया है इसलिए एन.ई.पी. विद्यार्थियों के पाठ्यकम में रामायण, रामचरित्रमानस एवं भगवतगीता जैसी धार्मिक पुस्तकों को शामिल करने की आश्यकता को महसूस किया गया उन्होंने बताया कभी किसी व्यक्ति को निम्नकोटि का नहीं समझाना चाहिए एवं किसी के व्यक्त्तिव को जानने के लिए उसको एक विशेष जिम्मेदारी सौंप देनी चाहिए। विशिष्ट अत्तिथि डा. पारूल मिश्रा ने कहा कि भारत में ही इण्डिया बसता है और इण्डिया में भारत, उन्होंने संस्कृत के कई श्लोकों के माध्यम से भारतीय विचारधारा को बताया, रामायण का जिक्र हुए कहा कि यह एक धार्मिक पुस्तक नहीं बल्कि जीवन जीने की एक कला है। मुख्य अतिथि प्रो.अन्जू भटट ने परम्परा और संस्कृति पर बोलते हुए कहा कि पाश्चात्य संस्कृति भारतीय सस्कृति का कुछ नहीं बिगाड़ सकती क्योंकि हमने अपनी संस्कृति को भूलने नहीं दिया है, आज के समय में भारत को अपनी संस्कृति ओर सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने के साथ साथ आधुनिकता को भी अपनाना है, राम जैसे लोग होने चाहिए किन्तु साथ साथ रावण जैसे लोग भी मिलेंगे।इस अवसर पर बीए प्रथम वर्ष की छात्रा द्वार एक शोध पत्र पढ़ा गया। प्राचार्य डा. तीर्थ प्रकाश ने अपने अध्यक्षीय उद्‌बोधन में आमंन्त्रित अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इस प्रकार की राष्ट्रीय कार्यशालाओं के माध्यम से विचारों का स्वस्थ आदान-प्रदान होता है।प्राचार्य ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को अपना अपना कर्म करने की स्वतन्त्रता है एवं हमारे वेद पुराण उपनिषद हमारे सोये हुए मन को जगाने का कार्य करते है।अतिथि वक्ताओं को प्राचार्य द्वारा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला को सफल बनाने में महाविद्यालय की डा. कलिका काले, डा. अनुराग, डा.दीपा शर्मा, डा. रचना वत्स, डा. प्रवेश

त्रिपाठी, श्रीमती सरमिष्टा, गीता जोशी, सूर्य प्रकाश, रोहित, सन्नी, जगपाल एवं छात्र-छात्राओं का विशेष सहयोग रहा।

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