ब्रह्मखाल/सुरेश रमोला।नौ दिवसीय पांडव नृत्य के आयोजन में अंतिम दिन पांडवों ने स्वर्ग रोहणी से पहले गंगा स्नान कर ग्रामीणों को अपना आशीर्वाद दिया और अगले आयोजन तक गांव की सीमाओं को आसुरी शक्तियों से सुरक्षित कर चारों दिशाओं में अपने किलों को मंत्रों से अभिमंत्रित किया। भंडारस्यूं पट्टी के मध्य गांव ब्रह्मखाल गेंवला में विगत नौ दिनों से आयोजित किया गया पांडव नृत्य का धार्मिक परंपराओं के साथ सम्पन्न हो गया। छाडी और जागरों के ज्ञाता कृष्णानन्द सेमवाल और शंभू प्रसाद उनियाल ने महाभारत की गाथाओं का सार तुकांतों से जोड़कर श्रोताओं और दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। पांडवों ने ग्रामीणों पर अवतरित होकर पांडव युग की यादों से धर्म-कर्म की शिक्षा गांव वालों को दी और देव शक्तियों का हमेशा आह्वान करते रहने की प्रेरणा दी। मंडाण नृत्य में पांडवों ने हल चलाकर खूब अन्न धन पैदा होने का वरदान ग्रामीणों को दिया और अन्नपूर्णा माता का भंडार गांव के हर परिवार में पूर्ण रहे इसके जौ की जवारी धरती पर बोये। गैंडै के वध के दौरान पांडवों ने ग्रामीणों का खूब मनोरंजन किया। मट्ठा लगाकर मंथाई से माखन निकाल कर उन्होंने दूध दही घी माखन से परिपूर्ण रखने का आशीर्वाद भी ग्रामीणों को दिया। नौ दिनों तक अखंड ज्योति और अखंड अग्नि के सहारे गेंवला के ग्रामीण पांडव नृत्य के भक्तिभाव में समर्पित रहे। इस दौरान बौखनाग देवता की डोली भी मंडाण में आह्वावित रही ।