सुनील थपलियाल
पुरोला : श्रीरामकृष्ण आश्रम ग्राम सुनाली में पिछले सात दिनों से चल रही श्रीमद्भागवत कथा का रविवार दोपहर समापन हो गया। कथा के अंतिम दिन व्यास पीठ से राष्ट्रीय संत श्रीलव दास महाराज ने कथा का सारांश कर जीवन को जीने की कला भी समझाई। कई उपदेशात्मक वृतांत सुनाकर भक्तों को निहाल भी किया।
मालूम हो कि श्रीरामकृष्ण आश्रम संस्थापक व्यास आचार्य शिवप्रसाद नौटियाल की ओर से 10 जुलाई को श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया गया था। कथा वृंदावन से पधारे राष्ट्रीय संत श्रीलवदास महाराज ने सुनाकर भक्तों को भाव विभोर किया। कथा के अंतिम दिन रविवार को व्यास लव दास ने सातों दिन की कथा का सारांश किया। उन्होंने बताया कि जीवन कई योनियों के बाद मिलता है। इसे कैसे जीना चाहिए, यह भी समझाया। सुदामा चरित्र को विस्तार से सुनाया। कृष्ण और सुदामा की निश्छल मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे बिना याचना के कृष्णा ने गरीब सुदामा का उद्धार किया। मित्रता निभाते हुए सुदामा की स्थिति को सुधारा। गौ वध का विरोध और गौ सेवा करने पर भी व्यासपीठ से श्रीलवदास ने जोर दिया। समापन कार्यक्रम करीब ढाई बजे समाप्त हो गया। इसके बाद हवन और फिर प्रसाद वितरित किया गया। अंत में जजमान कमलेश्वर प्रसाद,व्यास शिवप्रसाद नौटियाल,चन्द्रशेखर नौटियाल ने सभी का आभार जताया।कथा में देवडोलिया इसमे भगवान राजा रघुनाथ,मटिया महासू ओडारु जखण्डी,समेश्वर महादेव ,मा भीमाकाली भगवती मैया की डोली के दिव्य दर्शन हुए। इस मौके पर मूलपाठ व्यास मोहन उनियाल,व्यास गुरुप्रसाद ,व्यास मेवा राम गैरोला, व्यास जयराम जी, आचार्य सुभाष बहुगुणा,नवीन बहुगुणा, शशि बहुगुणा,विजय प्रसाद उनियाल,महदर गैरोला,भारत नौटियाल,ममलेश नौडियाल,राधेकृष्ण उनियाल, सुंदर राणा,राजेन्द्र, सुरेंदर, प्रेम सिंह ,विजेंद्र सिंह ,बलवीर सिंह आदि मौजूद थे।
टीम यमुनोत्री Express