जयप्रकाश बहुगुणा
बड़कोट/उत्तरकाशी
श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिवस कथा व्यास संत श्री शिव प्रसाद नौटियाल शास्त्री ने श्रीकृष्ण और गोपियों की रास लीला की कथा का वर्णन किया तथा रास नृत्य व तांदी नृत्य के महत्व को बताया, कहा कि तांदी और रास नृत्य हामरी प्राचीन संस्कृति का मत्वपूर्ण अंग है, इसे सदैव संजोए रखने का कार्य करें। कथा में श्रीकृष्ण और गोपियों के बिछुड़ने का वर्णन करते हुए व्यास पीठ पर विराजमान श्री शास्त्री भावुक हो गए, उनकी आंखें नम हो गयी। वहीं कथा स्रोता भी श्रीकृष्ण और गोपियों के बिरह वर्णन से भावुक हो उठे।
सरनौल गांव के माता रेणुका मंदिर प्रांगण में स्व श्री हरिकृष्ण सेमवाल की पुण्य स्मृति में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।
भागवत कथा के छठे दिन कथा में कथा वक्ता नौटियाल ने भगवान श्रीकृष्ण और विदुर की कथा सुनाते हुए प्रेम की महत्वता को बताया। कहा कि सबसे ऊंची प्रेम सगाई, दुर्योधन के मेवा त्यागे साग विदुर घर खायो। उन्होंने पितृ देवों के बारे में बताते हुए कहा कि पितृ कहीं जाते नही वे हमारी धड़कनों में रहकर हमे गलत काम करने से रोकते हैं।
कथा आयोजकों में श्रीमती भरोसी पत्नी स्व हरिकृष्ण सेमवाल, राजेन्द्र सेमवाल शास्त्री, द्वारिका सेमवाल, अनिल सेमवाल, सुशील सेमवाल, मरकंडी सेमवाल, मनोज सेमवाल, सुनीता सेमवाल, मीरा सेमवाल, सुषमा सेमवाल, अनुजा सेमवाल, सारदा देवी, पुष्पा सेमवाल, संगीता सेमवाल, अंजना डिमरी, संतोषी नौटियाल, कुलवंती लोहनी, पूनम नौटियाल सहित सरनौल ग्रामवासियों ने कथा श्रवण करने पहुंचे सभी श्रद्धालुओं का स्वागत कर आभार प्रकट किया।
कथा श्रवण में गोविंदराम नौटियाल, शेखर नौटियाल, बलवीर राणा, शक्ति सेमवाल, देवेंद्र दत्त बडोनी, प्रकाश डोभाल, जब्बर रावत, वीरेंद्र रावत, नत्था सिंह राणा, गोविंदराम उनियाल, कृष्णा राणा, प्रकाश उनियाल, राजेश उनियाल, रोहित राणा, जयप्रकाश सेमवाल, प्रदीप सेमवाल, अनिल लोहनी, मोहन राणा, जयदेव रावत, बलेन्द्र सिंह चौहान, सहित बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे श्रद्धालु उपस्थित रहे।