यमुनोत्री express ब्यूरो
देहरादून
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती कुसुम कंडवाल ने आज राजकीय महाविद्यालय देहरादून शहर ,देहरादून का औचक निरीक्षण किया तथा नवसृजित महाविद्यालय मे आधारभूत सुविधाओं के अभाव को लेकर हैरानी जताई।
सूच्य है कि राजकीय महाविद्यालय देहरादून शहर देहरादून की घोषणा माननीय मुख्यमंत्री के द्वारा विगत वर्ष ठीक चुनाव से पहले की गई थी और जिसकी स्थापना 18 नवंबर 2021 को की गई ।महाविद्यालय के संचालन की अस्थाई व्यवस्था हेतु राजकीय महिला पॉलिटेक्निक सुद्दोवाला में चार कमरे महाविद्यालय के लिए उपलब्ध कराया गया। इन्हीं चार कमरों में बीकॉम ,बीए, बीएससी की कक्षाओं के साथ-साथ कार्यालय एवं स्टाफ के बैठने की व्यवस्था भी एक ही कमरे में की जा रही है महाविद्यालय में वर्तमान सत्र में स्नातक प्रथम वर्ष के साथ-साथ स्नातक द्वितीय वर्ष की कक्षाओं का भी संचालन प्रारंभ हो गया है। किन्तु कक्षा कक्षों के अभाव के कारण पठन-पाठन व्यवस्था समुचित रूप से संभव नहीं हो पा रही है और ना ही बीए बीएससी की प्रयोगात्मक कक्षाओं का संचालन हो पा रहा है।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती कुसुम कंडवाल ने जब महाविद्यालय का औचक निरीक्षण किया और बताया कि उनसे बहुत से अभिभावकों ने महाविद्यालय मे आधारभूत सुविधाओं के अभाव की शिकायत की ,कि छात्राओं के लिए महाविद्यालय में शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है तो उन्होंने तुरंत इसका संज्ञान लेते हुए महाविद्यालय का औचक निरीक्षण किया तो अभिभावकों की शिकायत को सही पाया । उन्होंने तुरंत बताया कि वह इस समस्या को शासन-प्रशासन माननीय मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री तक पहुंचाएंगी।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ0 डीएस मेहरा ने बताया कि माननीय अध्यक्ष ने इन आधारभूत समस्याओं का स्वयं संज्ञान लिया है और शासन स्तर से इन समस्याओं के त्वरित निराकरण की बात कही है । सबसे बड़ी समस्या महाविद्यालय में बीए बीएससी की प्रयोगात्मक कक्षाओं के संचालन की है क्योंकि हमारे पास प्रयोगशालाओं के निर्माण हेतु कोई संरचनात्मक ढांचा उपलब्ध नहीं है । महाविद्यालय में 80% छात्राएं हैं लेकिन उनके प्रसाधन जैसी आवश्यक सुविधा महाविद्यालय के पास नहीं है साथ ही महाविद्यालय स्टाफ में भी 85% महिला प्राध्यापिकाये /कार्मिक कार्यरत हैं उनके लिए भी मूलभूत प्रसाधन सुविधा एवं बैठनै की समुचित व्यवस्था नहीं है।
महाविद्यालय प्रशासन ने महिला आयोग अध्यक्षा से इसी भवन के प्रथम तल को भी महाविद्यालय को अस्थाई रूप से आवंटित करने का अनुरोध किया है ताकि छात्रों की पठन-पाठन को समुचित रूप से किया जा सके छात्र-छात्राओं की प्रयोगात्मक कक्षाओं को भी संचालित करना तभी संभव हो पाएगा।