सुनील थपलियाल
उत्तरकाशी/बड़कोट।
शासन – प्रशासन के संज्ञान में होने के बाबजूद गरीब जनता के साथ खेला जा रहा खेल खाद्य एवं आपूर्ति विभाग बन्द नही कर रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या यमुना घाटी के लोगों को सरकार दोयम दर्जे का नागरिक मानती है या घटिया राशन की आपूर्ति करने वाला तन्त्र इतना असरदार है कि सरकार का सारा सिस्टम उसके आगे बौना हो गया है, जबकि लोग सरकार के स्तर से बराबर यह भरोसा दिया जाता रहा है कि गलत कार्य बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। तो यह मान लिया जाए कि यमुना घाटी में बिना टेग लगे चावल के बोरो की सप्लाई रोकने में सरकारी तन्त्र हार मान चुका है, जबकि राईस मिल के टेग लगे चावलों के बोरो में और बिना टेग लगे चावल के बोरो की क्वालिटी में भारी अंतर दिखाई दे रहा है। इतना ही नहीं विगत 23 मार्च को प्रशासन और खुद खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा घटिया चावलों की ली गयी सैम्पलिंग की रिपोर्ट सार्वजनिक न किये जाने से आम पब्लिक में रोष है।
मालूम हो कि यमुनाघाटी में गुणवत्ताविहीन चावलों की खेप बन्द होने का नाम नहीं ले रही है। बेस गोदाम विकासनगर से बिना टेग लगे चावलों की सप्लाई धड़ल्ले से अभी भी जारी है। दरअसल यमुना घाटी ही नहीं पूरे राज्य में खाद्यान्न माफिया विभागीय अधिकारियों के साथ मिल कर घटिया चावलों की सफाई काफी लम्बे समय से करते आ रहे हैं। सरकार पूरी कीमत देकर बेहतर चावल या राशन आम जनता के लिए अन्य राज्यों से खरीद रही है, परंतु बिचौलिया इस खरीद में सस्ता व घटिया चावल गरीब जनता को खिलाने में जुटे हैं।खरीद करने वाले अधिकारियों की संलिप्तता का सबसे बड़ा उदाहरण 23 मार्च को बड़कोट में प्रशासन द्वारा रंगे हाथों पकड़े गए घटिया चावलों की खेप का मामला है। घटिया चावलों की खेप के मामले की सूचना पाते ही उत्तरकाशी से देहरादून तक के उच्च अधिकारी सहित मामले को दबाने के लिए विकास नगर से विभाग की विपणन अधिकारी व उनके साथ एक ठेकेदार और विक्रय करने वाले राईस मिल मालिक भी बडकोट पहुँच गये थे।
दुर्भाग्य देखिए स्थानीय प्रशासन, खाद्य संरक्षा विभाग और खाद्यान्न विभाग के अधिकारियों ने घटिया चावलों की सैम्पलिंग करते हुए जांच लैब भेजा हुआ है लेकिन एक महीना बीतने को है, पर अभी तक उक्त सैम्पलिंग की रिपोर्ट सार्वजनिक नही की गई है, जिससे ये प्रतीत हो रहा है कि विभाग के उच्च अधिकारी दोषियों को बचाने की जुगत में जुटे हैं।
इधर नाम न छापने की शर्त पर एक राईस मिल मालिक ने बताया कि उत्तरखंड सरकार के खाद्यान्न विभाग को राईस मिल से सभी चावल के बोरों (कट्टों) पर टेग लगा कर दिया जाता है अगर उक्त चावल में खराबी मिलती है तो उसकी जिम्मेदारी भी राईस मील की रहती है। उन्होंने बताया कि राईस मिल में खराब व रिजेक्टेड चावल होता है, उन्हें ही कम कीमत में खरीद कर बिना टैग चावल कट्टो में भरा जाता है।
सामाजिक चेतना की बुलन्द आवाज “जय हो” ग्रुप बड़कोट के संयोजक सुनील, कोषाध्यक्ष मोहित,आशीष,जय सिंह,गिरीश, दीनानाथ, महिताब,अमर,विनोद, शैलेन्द्र, प्रवेश, अजय सिंह, सुमन,अंकित,धर्मेंद्र, रजत आदि ने उत्तराखंड सरकार से इसमे हस्तक्षेप करते हुए यमुनाघाटी में बिना टेग लगे चावल के बोरो (कट्टों) की सप्लाई पर प्रतिबंध लगवाने और घटिया चावलों की सैम्पलिंग की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए बिना टेग चावलो की खरीद में संलिप्त अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की है। उधर जिला पूर्ति अधिकारी संतोष भट्ट ने बताया कि आरएफसी से अभी तक सैम्पलिंग जांच रिपोर्ट नहीं आई है। जिलाधिकारी ने सम्भागीय खाद्य नियंत्रक विपणन विभाग को सैम्पलिंग की रिपोर्ट और दोषियों पर कार्यवाही के लिए पुनः पत्र भेजा है। उन्होंने बताया कि सभी पूर्ति निरीक्षकों को निर्देशित किया हुआ है कि चावल के प्रत्येक ट्रक के साथ सैम्पल भेजा जा रहा है। उसमें अगर कुछ गड़बड़ी पाई जाती है तो उसे तत्काल वापस भेजा जाए। वैसे बिना टैग लगे चावल के बोरों को उत्तरकाशी जनपद में न भेजने का जिक्र भी पत्र में किया गया है लेकिन इस हिदायत का गोरखधन्धे में लोगों पर कोई असर नहीं हुआ है। यानी जिलाधिकारी के आदेश भी ताक पर रख दिए गए हैं।
टीम यमुनोत्री Express