काव्य प्रवाह
यमुनोत्री एक्सप्रेस के पाठकों के लिए आज से हम एक नया स्तम्भ काव्य प्रवाह शुरू कर रहे हैं। इसमें हिंदी, गढ़वाली, जौनसारी, रन्वाई और तमाम भाषाओं की रचनाओ को स्थान दिया जाएगा। आप भी अपनी रचना भेज सकते हैं, उचित् पाये जाने पर उसे स्थान दिया जाएगा। आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं हिंदी के स्वनामधन्य रचनाकार रमेशचंद्र द्विवेदी की कविता।
– सम्पादक
*नये साल का हाल*
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कँधे पर रख
कथरी अपनी
साल गुजर जायेगा
वह अतीत का
हिस्सा बन जायेगा,
क्या खोया क्या पाया हमने
पोस्टमार्टम फिर होगा।
पत्र-पत्रिकाओं में फिर
लम्बे लेख, कविताओं का
अब अम्बार छपेगा
दूरदर्शन पर
बहस और भाषण होगा
नये वर्ष के स्वागत में
फिर जलसा होगा ।
मस्ती के आलम में
सब कुछ डूबेगा
कोरोना से मौतें
अपनों को खोने का दर्द
बेरोजगारी, मँहगाई
आन्दोलनों का सैलाब
धर्म और सम्प्रदाय की राजनीति
चुनावी हिंसा
शोर में सब खो जायेगा ।
रह जायेगी
स्मृतियों में धुँधली यादें
अलबम में सजी तस्वीरें
कुछ खत और तकरीरें
कम होती
उम्र की मीनारें
उठती हुई
वैमनस्य की दीवारें
सब पर
काला परदा पड़ जायेगा ।
– रमेशचन्द्र द्विवेदी
हल्द्वानी-नैनीताल
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