उत्तरकाशी ।
नगर पालिका परिषद बड़कोट में निर्वाचित होकर आये भाजपा सरकार में अपनी अनदेखी से आहत हैं। अधिशासी अधिकारी के मनमाने रवैये से सभी सभासद और कर्मचारी परेशान हैं। सभासदों के सामने समस्या यह है कि जिस जनता ने उन्हें चुना है, उसकी अपेक्षाओं को कैसे पूरा करें, जबकि पालिका ईओ उनकी बात को तवज्जो देने को तैयार नहीं हैं। सत्तारूढ़ दल का होने से उम्मीद थी कि पार्टी का साथ मिलेगा तो चीजें सुधरेंगी, लेकिन यहां सुधरने की उम्मीद ही खत्म हो गई है।
दरअसल नगर पालिका परिषद बड़कोट में विगत छह साल से अधिक समय से कुंडली मारे अधिशासी अधिकारी फेविकोल के जोड से कम नहीं है। इसके पीछे का सच् आपको बताते हैं। उनके विरुद्ध कई शिकायतें हैं, शिकायतों की जांच हो चुकी है और कुछ जांच चल रही हैं। हैरत यह है उन सब जांचों को किसी न किसी तरीके से दबाया जा रहा है। आखिर इतना लंबा समय वह भी कई बार विरोध के बावजूद, यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।
बड़कोट नगर पालिका के जनप्रतिनिधियों का जद्दोजहद करना ईओ के मनसूबों को साफ दर्शाता है।
वैसे महिला अधिशासी अधिकारी अमरजीत कौर का विवादों से पुराना नाता रहा है। कोटद्वार में तत्कालीन सभासदों व कर्मचारियों ने हड़ताल कर इनको वहां से विदा किया था, उसके बाद बड़कोट में भी विवादों में घिरी रही, नियमों की दुहाई देने वाली ईओ को आज ही नियम क्यों याद आ रहे है, ढाई साल पहले के जो भी निर्माण कार्य हैं, वह किस नियम से हुए? दर्जनों योजनाओं ई टेन्टर न करवाकर हरिद्वार के अखबारों में निविदा प्रकाशित कर में सरकारी धन खर्च हुआ, उनकी देखरेख में ड्रेनेज योजना के तहत हुए कार्य तो एक बरसात भी नहीं झेल पाया, यमुना नदी के बीचों बीच दरिया खुर्द में राज्य वित्त, अवस्थापना, आपदा मद का लगभग तीन करोड़ लगा दिए गये, जिसके बावजूद तिलाड़ी की हरी भरी भूमि पर संकट के बादल मंडराए। यही नहीं यमुना के बीचों बीच बने निर्माण को तत्कालीन जिलाधिकारी आशीष चौहान ने तिलाड़ी पहुँचकर धन का दुरुपयोग माना था और जांच भी करवाई थी। वह फाइल कार्यवाही के लिए शासन में धूल फांक रही है।
लाख टके का सवाल यह है कि तब नियम कहा थे? इस तरह चर्चित पालिका ईओ के एक नहीं, दर्जनों मामले हैं, जिनकी गंभीरता से जांच हो जाय तो अनियमितता ही अनियमितता नजर आयेगी।
भय है कि अगर ईओ हट गयी तो कई लोगों पर कार्यवाही की तलवार लटक जाएगी। खैर आखिर कब तक….।
वैसे दुर्भाग्य है कि बीजेपी सरकार में बीजेपी के कार्यकर्ताओं की नही सुनी गई। इसकी बानगी देखें बीजेपी नेताओं ने शहरी विकास मंत्री रहे व वर्तमान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक से मुलाकात कर अधिशासी अधिकारी को हटाने की गुहार लगाई थी। उनका तबादला तो दूर उक्त ईओ को नौगाँव और पुरोला का भी अतरिक्त प्रभार मिल गया। वहां पर मजबूती से पैरवी हुई तो विवादित ईओ को वापस आना पड़ा। इतना ही नहीं बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान में शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत से भी बीजेपी नेता व सभासद कई बार ईओ अमरजीत कौर को हटाने की मांग कर चुके हैं।
आख़िरकार यमुनोत्री विधायक केदार सिंह रावत के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दरबार तक मामला पहुँचाया है । आश्वासन मिला है कि एक सप्ताह के भीतर ईओ को हटा दिया जाएगा। इस आश्वासन पर सबकी नजर टिकी हुई है।
बीजेपी राज में बीजेपी नेताओं व सभासदों की सुनवाई न होना, स्थानीय स्तर पर सन्देह पैदा किये हुए है।
दूसरी ओर नगर क्षेत्र में कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से गन्दगी का अंबार लग चुका है। मौजूदा कोरोनाकाल में हालत यह है कि महामारी फैलने का अंदेशा बढ़ा हुआ है लेकिन इसके प्रति ईओ फिक्रमंद नजर नहीं आ रही हैं। अलबत्ता अधिशासी अधिकारी अमरजीत कौर का कहना है कि कर्मचारियों व सभासदों द्वारा उन पर लगाये जा रहे आरोप निराधार हैं। उनका काम एकदम चाक चौबंद है।
टीम यमुनोत्री Express