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धनौल्टी का किंग कौन- भाजपा- कांग्रेस, आप या निर्दलीय?

 

धनौल्टी का किंग कौन- भाजपा- कांग्रेस, आप या निर्दलीय?

नेताओं के श्रेय को लेकर सोशल मीडिया पर समर्थकों की बयानबाजी बनी चर्चा का विषय

देहरादून ( अमित नौटियाल)-  उत्तराखंड में पर्यटन के विशेष गंतव्य के रूप में उभरे धनौल्टी का प्रदेश की राजनीति में भी खास महत्व है। यूँ तो धनौल्टी की राजनीति बेहद ही शांत, सरल व सौम्य मिजाज की रही है। धनौल्टी में भाजपा, कांग्रेस व इस बार निर्दलीय प्रत्याशी का दबदबा रहा हो, लेकिन राजनीति बेहद ही नर्माहट वाली रही है। यहां की राजनीति में टकराव की कोई गुंजाइश अब तक नहीं देखी गई है। चुनाव को लेकर अब जबकि कम समय शेष है, इसके मद्देनजर कमोबेश सभी दलों के नेताओं का चुनाव से पहले जनसम्पर्क अभियान (वार्मअप) से मिजाज से ठंडे इस क्षेत्र में गर्माहट लानी शुरू कर दी है और नेता भी वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए हर हथकंडे अपना रहे हैं। यदि बात करें धनौल्टी की राजनीति तो इस बार चुनाव से पहले भाजपा – कांग्रेस में कुछ ठीक-ठाक नहीं लग रहा है। सोशल मीडिया पर भाजपा – कांग्रेस के समर्थक बयानबाजी को लेकर अपने पार्टी नेताओं की खूब फजीहत करा रहे हैं। समर्थक भी अपने पसंदीदा नेता को चमकाने को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम प्रकार की खूबियों को खूब शेयर कर रहे हैं। इसके विपरीत जनता भी नेताओं की जमकर आलोचना कर रही है !
धनौल्टी विधानसभा में स्ट्रॉ पोल नामक ऐप्प से प्रत्याशियों की वोटिंग  की जा रही है। समर्थक भी अपने पसंदीदा नेता को चमकाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इस बीच आम आदमी पार्टी (आप) की क्षेत्र में बढ़ती गतिविधियों से धनौल्टी में अब मुकाबला रोचक होने के आसार हैं। ऐसे में भाजपा-कांग्रेस के लिए एक चुनौती हो सकता है। भाजपा व कांग्रेस के नेता किस कदर अब इस चुनौती से निपटते हैं, यह तो देखना दिलचस्प होगा।  यदि यह चुनौती जिस तरह पेश की जा रही है, तो यह भाजपा-कांग्रेस की राह में मुसीबत बढ़ा सकती है। यदि पिछले विधानसभा चुनाव की बात की जाये तो भाजपा व कांग्रेस को पराजय देने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी ने धनौल्टी विधानसभा क्षेत्र का किला फतह किया था। लेकिन इस बार भाजपा- कांग्रेस के लिए राह आसान नहीं है, क्योंकि इस बार आप ने भी धनौल्टी में ताल ठोक कर अपनी जगह बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। खास बात यह है कि जिस जोर शोर से आप चुनाव अभियान में जुट गई है। उससे अगर भाजपा – कांग्रेस नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें उभर सकती हैं। मौजूदा परिदृश्य इसी तरह बना रहा तो आप या निर्दलीय प्रत्याशी इस बार फ़ायदा उठा सकते हैं, क्योंकि भाजपा और कांग्रेस में अभी तक जमीनी स्तर पर कोई हलचल नजर नहीं आ रही है। हालांकि अब पार्टियों के आलाकमान किस नेता को टिकट देता है ये तो आने वाला ही समय बताएगा लेकिन अभी तक का परिदृश्य दोनों दलों के माफिक नजर नहीं आ रहा है।

टीम यमुनोत्री एक्सप्रेस

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