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विलुप्त होती पक्षियों की प्रजातियों का सरंक्षण पर्यावरण संतुलन के लिए जरूरी:प्रदीप

दीपिका भट्ट
बड़कोट/उत्तरकाशी

 

वर्तमान समय में हमारे परिवेश से पक्षियों की कुछ प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर हैं, जिनका सरंक्षण करना पर्यावरण संतुलन के लिए आवश्यक है यह कहना है पर्यावरण व पक्षी प्रेमी प्रदीप का।काफी समय से पक्षियों की फोटोग्राफी करने व उनके आहार, विचरण पर नजर रखने वाले उत्तरकाशी जनपद की चिन्यालीसौड़ तहसील के ग्राम-छैजुला निवासी प्रदीप विलुप्त होती पक्षियों की प्रजाति को आने वाले समय में पर्यावरण संतुलन के बिगड़ने के लिए एक बहुत बड़ा कारण मानते हैं।
उत्तरकाशी जिले के प्रदीप का संदेश जो वह हमेशा ही पक्षियों के बारे में दिया करते हैं, प्रदीप का कहना है कि पक्षियों की ही नहीं बल्कि किसी भी प्रजाति के विलुप्त होने का मुख्य कारण हम इंसान ही हैं। जो अपने फायदों के लिए जंगल का विनाश और मासूम जीवों का शिकार करते हैं। इसके आलावा मौसम के बदलाव के कारण भी पक्षियों की प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं।
प्रदीप का कहना है कि जब भी मै पक्षियों की फोटोग्राफी करने जंगलों में जाता हूं तो कई पक्षी ऐसे हैं जो मिलते ही नहीं जैसे पहले गिद्ध हुआ करता था, तो जितने भी मृत जीव होते थे उनका मांस भक्षण गिद्ध कर देते थे लेकिन आज जब जंगलों में कहीं भी ये पक्षी नहीं दिखाई देते तो कहीं न कहीं हमारे पर्यावरण पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ रहा है, लोगों में विभिन्न बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है।
विलुप्त पक्षियों के दूसरे क्रम में प्रदीप का कहना है कि गोरैया जो अक्सर घरों में अस्थाई तौर पर निवास करती थीं। यह पक्षी लोगों को अपनी सुरीली आवाज से मंत्रमुग्ध करने के साथ घर में नुकसान करने वाले कीट पतंगों को खा कर घरेलू वातावरण को शुद्ध करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। जब से इन पक्षियों ने घरों को छोड़ दिया तभी से बीमारियां फैलाने वाले कीट पतंगों की संख्या में भारी इजाफा देखा जा रहा है। विलुप्त पक्षियों की कलात्मकता पर यदि गौर किया जाए तो उसके घोंसला बनाने का ढंग एक इंजीनियर की बुद्धि को भी मात देता है। प्रदीप का कहना है कि यदि समय रहते मानव समाज इन पक्षियों के प्रति संवेदनशील नहीं हुआ तो वह दिन दूर नहीं जो हमारे पर्यावरण रक्षक इतिहास का हिस्सा बन जाएंगे। विलुप्त हो रहे पक्षियों से पर्यावरण का संतुलन और बिगड़ता जा रहा है। पेड़ पौधों पर वह स्वछन्द विचरण करने वाले यह पक्षी अपना स्थान तो सुरक्षित नहीं कर सकते हैं। प्रदीप का सब से एक अनुरोध यह भी रहता है कि किसी भी पक्षी को पिंजरे में अपने शौक के लिए कैद न करें इन्हे भी इनकी जिंदगी जीने के लिए आजाद रखना चाहिए।ताकि वे हमारे जीवन के लिए आवश्यक पर्यावरण संरक्षण करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निर्बाध रूप से निर्वहन करते रहें।

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