सुनील थपलियाल उत्तरकाशी
साढ़े 17 हजार की ऊंचाई पर बर्फीली मौत को सामने खड़ा देख वो जांबाज डिगा नहीं और उतर पड़ा मौत से दो दो हाथ करने..उसने न सिर्फ खुद को संभाला बल्कि 4 लोगों को मौत के मुंह से खींचकर बचा ले गया..कौन था वो हिमवीर पढ़िए ये पूरी रिपोर्ट….
राजस्थान के रहने वाले नायक सूबेदार अनिल कुमार…आठ महार रेजीमेंट से डेपुटेशन पर इन दिनों बतौर इंस्ट्रक्टर NIM में पोस्टेड हैं…अनिल कुमार एनआईएम की उस टीम में थे जो एवलांच का शिकार हुई..अनिल कुमार एक अन्य इंस्ट्रक्टर के साथ साढ़े 17 हजार फीट ऊंची इस पीक को सबमिट कर चुके थे..और अब ट्रेनीज को सबमिट कराने की कोशिश कर ही रहे थे कि एवलांच के रूप में मौत का बवंडर टूट पड़ा..अनिल कुमार के आगे कई लोग बर्फ में दबे पड़े थे..किसी का हाथ, तो किसी की महज पैर की उंगलियां नजर आ रही थी. अनिल ने एक नहीं 4 ट्रेनीज को क्रेवास से जिंदा निकाल लिया..
क्रेवास से निकालकर अनिल ने जिन 4 लोगों को जिंदगी दी उनमें से दो.वो हैं गुजरात निवासी दीप ठक्कर और मुंबई निवासी सुनील हलवानी.. दोनों लोग इंस्ट्रकेटर अनिल कुमार के साथ डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल उत्तरकाशी में भर्ती हैं..दीप ठक्कर का कहना है कि मेरे ऊपर साठ मीटर गहरे क्रेवास में तीन और लोग पड़े हुए थे..वो दोनों अनिलंकुमार का शुक्रिया कहते नहीं थकते,
साढे़ 17 हजार फीट की ऊंचाई पर जब मौत सामने हो, चारों ओर मौत का मंजर पसरा हो, ऐसी विपरीत परिस्थतियों में भी अपनी जान की परवाह न कर साथियों को सुरक्षित निकालने के लिए मौत से भिड़ जाना हर किसी के बस की बात नहीं..पूरे ऑपरेशन में अनिल कुमार के जज्बे की तारीफ हो रही है..हालांकि, बर्फ में लंबे समय तक साथियों को बचाने उन्हें सुरक्षित लाने की जदोजहद में अनिल का पैर भी फ्रैक्चर हो गया.
द्रोपदी का डंडा हिमशिखर को सबमिट करने के दौरान एवलांच की चपेट में आया नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के ट्रेनीज के दल में से अभी भी 27 लोग लापता चल रहे हैं..दस लोग मौत के इस तांडव से बच निकलने में सफल रहे..मातली और हर्षिल हेलीपैड से शुरू हुए रेस्क्यू ऑपरेशन में बेस कैंप से 15 घायलों को सुरक्षित निकाल लिया गया.आज फिर जारी रहेगा रेस्क्यू
टीम यमुनोत्री Express