गांव से 1 किलोमीटर तक चीड़ को नष्ट कर लगे बाँज बुराँश
चीड़ का फैलाव रोकना जरूरी- आई डी पाण्डे
देहरादून (राकेश रतूड़ी )- उत्तराखंड राज्य में जहां जहां चीड़ का जंगल है। वहां-वहाँ फायर सीजन में हमेशा आग स्वतः ही लग जाती है, उसका कारण यह है कि चीड़ की पत्तियों की आपसी रगड़ से आग पैदा होती है। आग लगने के कारण कई जीव जन्तु आग से जल जाते हैं।सरकार की तरफ से आग बुझाने का काफी प्रयास किये जाते हैं लेकिन फिर भी जंगल नही बचाये जाते। सरकार का करोडों रुपये आग बुझने के नाम पर खर्च किये जाते है।गांव के नजदीक चीड़ का जंगल आग लगने पर कई बार लोगों के घर और गौसलाये जल चुकि हैं।सरकार की तरफ से गांव गांव में वनपंचायत समिति भी बनाई गई हैं। जो केवल फायर सीजन में ही सक्रिय होती है जबकि गाँव गाँव मे वनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उनको सौंप देनी चाहिए ताकि पूरे गांव के लोग वन की सुरक्षा करने में मदद करें। कई जनपदो जैसे उत्तरकाशी, टिहरी, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पौड़ी,में चीड़ बहुत अधिक पाए जाते हैं जी कारण हमेशा आग का भी खतरा बना रहता है। चीड़ के जंगलों से तापमान खुसख बना रहता। जिस कारण जमीन की नमी भी खत्म हो जाती है। कई जगहों में देखा गया कि जहाँ पानी के स्रोत थे चीड़ के कारण सूख गए हैं।इसरो, सेडार,औऱ एनसीबीसी की सँयुक्त रिसर्च में यह खुलासा हुआ है। यह शोध अंतरराष्ट्रीय जनरल फारेस्ट इकोलॉजी एन्ड मैनेजमेंट में प्रकाशित हुआ है।सेंटर फॉर इकोलॉजी डिप्लोपमेंट एन्ड रिसर्च(सेडार), देहरादून, नेशनल सेंटर फार बायोलॉजीकल साइंसेज(एससीबीएस),इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गनाइजेशन(इसरो), के वैज्ञानिकों की टीम ने 1991 से 2017 तक नैनीतालऔर अल्मोड़ा के 1285 वर्ग किलोमीटर में जंगलों पर यह शोध किया। शोध में पाया गया कि बाँज के घने जंगलों में 22 ओर कम घने जंगलों में 29 प्रतिसत गिरावट आई है।वहीं चीड़ 74 प्रतिशत बढ़ गये है वैज्ञानिक चीड़ को रोकने की सलाह दे रहे हैं। वहीं पूर्व पीसीसीएफ,उत्तराखंड आई डी पाण्डे का कहना है कि चीड़ का फैलाव रोकना जरूरी है। चीड़ जैव विविधता को बर्बाद कर देता है।यह ग्रामीणों के लिए घातक है। वही कई बार सरकार को वैज्ञानिकों की सलाह पर फल करनी चाहिए ताकि जल,जंगल को बचाया जा सके। वही जनपद उत्तरकाशी के ग्रामपंचायत धिवरा, डैरिका, करडा , पोरा,रामा, बीस्टी, रौन,वन सरपंचों ने कहा है कि गांव से लगभग 1000मीटर तक चीड़ को नष्ट कर बाँज के पौधे लगवाया जाय।ताकि किसानों को चारापत्ती भी मिले।पानी की किल्लत भी दूर हो।आग से भी बचा जा सके।वन विभाग के द्वारा सरकार के सामने ऐसी योजना पर काम करने की पैरवी कर लेनी चाहिए।
टीम यमुनोत्री एक्सप्रेस