
गौमुख ग्लेशियर की सुरक्षा जरूरी।
हर साल पीछे खिसक रहा है ग्लेशियर
सुनील थपलियाल उत्त्तरकाशी।
ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर में गंगोत्री गौमुख ग्लेशियर भी ग्लोबल वार्मिंग के असर से अछूता नहीं है उच्च हिमालई क्षेत्रों में आपदाओं की घटनाएं लगातार सामने आ रही है जिससे पतित पावनी भागीरथी माँ गंगा की उद्गम स्थली गौमुख ग्लेशियर की रूप रेखा से लेकर यात्रा का स्वरूप भी परिवर्तित हो गया है, यहां गंगा पहले गौमुख यानी गाय के मुख की आकृति से निकलती थी लेकिन समय के साथ ग्लेशियर तेजी से पिघलने से गौमुख का रूप बदलता गया।
जानकारी अनुसार गौमुख गये एक दल डॉ. कपिल पंवार, प्रजापति यादव,शक्ति डोभाल कहते है कि इस बार गौमुख में गंगा करीब ग्लेशियर के 100 मीटर के क्षेत्र से निकल रही है । वही यहां दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है ।गौमुख यात्रा पहले गंगोत्री धाम से 18 किलोमीटर भागीरथी के बाई तरफ चीड़वासा और भोजवासा होते हुए होती थी लेकिन गंगोत्री ग्लेशियर के ऊपर पिछले 2 साल पहले कोई झील टूटने से भोजवासा के आगे करीब 3 किलोमीटर का क्षेत्र नदी के सैलाब में बह गया जिससे अब गोमुख यात्रा भोजवासा तक पुराने ही रास्ते से हो रही है लेकिन इसके बाद हस्त चलित एक टोली के द्वारा भागीरथी की दूसरी तरफ पहुंचना पड़ रहा है जहां यात्रियों को खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही है ।यहां ट्रॉली के द्वारा दूसरी तरफ पहुंचने के बाद श्रद्धालुओं को 2 से 3 किलोमीटर के अतिरिक्त दूरी भी गौमुख तक पहुंचने के लिए तय करनी पड़ रही है ।
हिमालयी क्षेत्र के विशेषज्ञय मानते है कि ग्लोबल वार्मिंग का असर गौमुख क्षेत्र में अधिक है। लगातार गौमुख का खिसकने से दूरी बढ़ती जा रही है।
टीम यमुनोत्री Express