बड़़कोट/अरविन्द थपलियाल।ज्योतिषपीठाधिश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अवि मुकतेश्वरानंद जी महाराज आज सोमवार को शीतकालीन चारधाम यात्रा पर यमुनोत्री धाम के मुख्य पड़ाव बड़कोट पहुंचे! बड़कोट में यमुनोत्री प्रेस क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित जन समुदाय को सम्भोदित करते हुए कहा कि केंद्र व राज्य सरकार को समुदाय विशेष की घनीभूत बस्तीयों के बसावट को रोकने के लिए क़ानून बनाना चाहिए!जिससे देवभूमि की डेमोग्राफी परिवर्तित न हो!शंकराचार्य जी ने कहा कि
उत्तराखंड चारधाम शीतकालीन यात्रा का फल ग्रीष्मकालीन यात्रा के फल से कई गुना अधिक है!
उत्तराखंड चारधाम यात्रा वर्षभर चलती है, यहां धामों में कभी पूजा बंद नहीं होती है!चारधाम के पट बंद होने का मतलब यात्रा का बंद होना नहीं है, भगवान की पूजा बारह महीने होती है, छह माह ग्रीष्म कालीन स्थलों पर तो छह माह शीतकालीन गद्दी स्थलों पर! लोगों में भ्र्म की स्थिति हो जाती है की चार धाम के कपाट बंद होने पर यात्रा बंद हो जाती है!जगत गुरु शंकराचार्य ने कहा कि उत्तराखंड चारधाम यात्रा यहां के लोगों की आर्थिकी व उन्नति से जुड़ी हुई है!उन्होंने कहा कि हमारी बातों को अन्यथा लिया जाता है!बोलने व समझने में बहुत बड़ा अंतर होता है!शंकराचार्य जी ने चिपको आंदोलन की यादों को ताज़ा करते हुए पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया!2008 में गंगा आंदोलन के बारे में कहा कि हमने गंगा की धारा को अविरल बनाने के लिए आंदोलन चलाया लेकिन लोगों ने उसका महत्व नहीं समझा!और हम पर विकास विरोधी ठप्पा लगा दिया!
इससे पूर्व यमुनोत्री प्रेस क्लब क्लब बड़कोट के सदस्यों, व स्थानीय लोगों ने ज्योतिष पीठाधिश्वर जगत गुरु शंकाराचार्य स्वामी अविमुकतेशवरानंद का यमुना घाटी बड़कोट आगमन पर ढ़ोल बाजों, फूल मलाओं से स्वागत अभिनंदन किया!जबकि कस्तूरबा गाँधी आवसीय विद्यालय गंगनानी की छात्राओं ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत व नृत्य की प्रस्तुति देकर शंकराचार्य जी का स्वागत किया!
गौ कथा वाचक गोपाल मणी महाराज, गोपाल जी, मुकुंदानंद, उमेश सती, अनिरुद्ध उनियाल,उपजिलाधिकारी बृजेश तिवारी, नायब तहसीलदार खजान असवाल,थानाध्यक्ष दीपक कठेत,बृजेश सती, नरोतम पारीख,रमेश रावत, संजय अग्रवाल, सुनील थपलियाल, विजेंद्र रावत, दिनेश रावत, ओंकार बहुगुणा, भगवती रतुड़ी, नितिन चौहान, जयप्रकाश बहुगुणा, उपेंद्र असवाल, मदन पैन्यूली, संजय,सहित विभिन्न प्रांतो से आये श्रद्धालु उपस्थित रहे!