बड़कोट /अरविन्द थपलियाल। महर्षि वाल्मीकि रचित ‘वाल्मीकि रामायण’ का संक्षिप्त कथा सार
‘संक्षिप्त वाल्मीकीय रामायण'(कथा सार) का रवांल्टी संस्करण अब रवांल्टी पाठकों के लिए उपलब्ध हो गया है।इसे रामायण प्रसार परिशोध प्रतिष्ठान अम्बाला शहर (हरियाणा) ने प्रकाशित किया है। गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर में संस्कृत विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ विशाल भारद्वाज द्वारा प्रस्तुत संक्षिप्त कथा सार का सुप्रसिद्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा ने रवांल्टी में अनुवाद किया है।’वाल्मीकीय रामायण’ के इस संस्करण के बारे में जानकारी देते हुए साहित्यकार महावीर रवांल्टा ने बताया कि रामायण प्रसार परिशोध प्रतिष्ठान द्वारा इस संक्षिप्त कथा सार को देश-विदेश की विभिन्न भाषाओं के माध्यम से अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।इसी के निमित्त भाषा क्रमांक -9 के रुप में रवांल्टी संस्करण सामने आया है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि पुस्तक में बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड,अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, युद्धकाण्ड,उतरकाण्ड सभी शामिल हैं।
रवांल्टी भाषा के लिए भगीरथ कहे जाने वाले महावीर रवांल्टा हिन्दी के साथ ही रवांल्टी को पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत रहे हैं।
7 जनवरी सन् 1995 ई में उनकी पहली रवांल्टी कविता ‘जनलहर’ में उसके हिन्दी अनुवाद के साथ प्रकाशित हुई थी फिर यह सिलसिला कविता, आलेख, कहानी,नाटक से आगे बढ़कर अनुवाद तक पहुंच गया है।
रवांल्टी को लेकर आपने भाषा-शोध एवं प्रकाशन केन्द्र वडोदरा (गुजरात) के भारतीय भाषा लोक सर्वेक्षण, उत्तराखण्ड भाषा संस्थान के ‘रवांल्टी का सांस्कृतिक एवं समाज भाषा वैज्ञानिक विवेचन’, ‘पहाड़’ के बहुभाषी शब्दकोश ‘झिक्कल काम्ची उडायली’,हिन्दी विभाग कुमाऊं विश्वविद्यालय तथा सोसायटी फार इंडेंजर्ड एंड लेस नोन लैंग्वेजेज की भाषा प्रलेखन एवं शब्दकोश कार्यशाला,सरहद(पुणे) द्वारा आयोजित घुमान बहुभाषा साहित्य सम्मेलन, ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कार्यक्रमों के साथ ही विभिन्न मंचों पर प्रतिभाग करते रहे हैं। दूरदर्शन एवं आकाशवाणी से रवांल्टी साहित्य को आमजन तक पहुंचाने का श्रेय भी आपको ही जाता है। विभिन्न मंचों के माध्यम से आप रवांल्टी को पहचान दिलाने की आपकी प्रतिबद्धता किसी भगीरथ से कहीं कम नहीं है। महावीर रवांल्टा लोक भाषा एवं बोली संवर्धन परिषद व उत्तराखण्ड भाषा संस्थान के सरकार द्वारा मनोनीत सदस्य रह चुके हैं। साहित्य की विभिन्न विधाओं में 42 पुस्तकें लिख चुके महावीर रवांल्टा के ‘गैणी जण आमार सुईन’ व ‘छपराल’ रवांल्टी कविता संग्रह हैं। रवांल्टी में उत्कृष्ट साहित्य सृजन एवं अनवरत सेवा के लिए 30 जून 2023 को उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा आपको उत्तराखण्ड साहित्य गौरव पुरस्कार -गोविन्द चातक सम्मान -2022 से सम्मानित किया जा चुका है जिसमें प्रशस्ति पत्र, अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह के साथ ही एक लाख की राशि भी भेंट की जाती है।