बड़कोट /अरविन्द थपलियाल । विचित्र भूगर्भीय घटना गंगा नदी का जल अपने पारंपरिक प्रवाह से विपरीत जमीन के भीतर ही भीतर यमुना तट पर उदघटित होता है। यही गंगा जल का लघु जलाशय गंगनानी के कुंड के नाम से प्रसिद्ध है। पेयजल के स्रोत से बड़ा इस कुंड का एक आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व है। गंगा स्नान और धार्मिक कर्मकांडों का यह यमुनाघाटी में मुख्य केंद्र है। यह यमुना के तट का पहला प्रयाग और मोक्षधाम है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महर्षि जमदग्नि यमुना के तट पर बसे थान गांव से नित्य गंगा स्नान को रोज आया-जाया करते थे। वृद्धावस्था में यह नियमित रूप से कर पाना संभव ना था। इसलिऐ मुनि महाराज के तपोबल से गंगाजी की एक धारा यहाँ फूट पड़ी। गंगा जमुना के जल के संगम होने से इसका धार्मिक महत्व और बढ़ गया और यह एक तीर्थ हो गया। आज बच्चों के चूड़ा कर्म, विवाह, स्नान, और अंतिम संस्कार तक के सारे धार्मिक अनुष्ठानों का यह मुख्य केंद्र हैं। इसी पौराणिक धार्मिक स्थल गंगनानी में दिनांक 13 फरवरी से 15 फरवरी- 2024 तक कुंड की जातर का भव्य आयोजन होने जा रहा है। जिसमें आप सभी की उपस्थिति और भागीदारी प्रार्थनीय है।
मालूम हो कि इस मेले को जिला पंचायत उत्तरकाशी आयोजित करवाती है और अध्यक्ष जिला पंचायत दीपक बिजल्वाण ने अपील की है कि आईये आप और हम सब मिलकर गंगा जमुना के इस साझा उत्सव में प्रतिभाग कर सहयोग करें।