सुनील थपलियाल
एक ऐसी शख्सियत जिन्हे IAS आफिसर के साथ ही विशुद्ध ग्रामीण कहा जाय तो अति संयोक्ति नही होगी ।
वर्ष 2011 बैज के आईएएस ऑफिसर श्री Lalit Mohan Rayal जी निवासी खड़क माफी वर्तमान में उत्तराखंड सरकार में प्रमुख ओहदो की जिम्मेदारी निभा रहे है। साहित्य की यदि बात की जाय तो अब तक अथ श्री प्रयाग राज कथा, चाकरी चतुरंग, कारी तू कभी न हारी जेसी पुस्तके लिख चुके है ।
लेकिन अपनी माटी से इतना लगाव की राजकीय अवकाश होते ही निकल पड़ते है शोर गुल से दूर अपने गांव खड़क माफी और दिनचर्या ऐसी की ठेठ पहाड़ी भी शरमा जाय ।
प्रातः उठना खेती बाड़ी करना ,गृह कार्य में हाथ बटाना माता जी की सेवा करना आदि ……साथ ही शिक्षा जगत की मानी जानी शख्शियत जिसमे 35 वर्षो से शिक्षण संस्था संचालित कर रहे नालन्दा इंटर कालेज के संस्थापक महावीर उपाध्याय जी और उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड में बलूनी क्लासेज़ व बलूनी पब्लिक स्कूल के संस्थापक श्री विपिन बलोनी जी से रूबरू होकर पहाड़ की माटी के लिए और अपनी संस्कृति व साहित्य को संजोने में जुटे है। साक्षात्कार के कुछ अंश आपके बीच।
आप भी सुनिए उनकी ही जुबानी उनकी कहानी….
ललित मोहन रयाल जी का नाम उत्तराखंड के उन आईएएस (IAS) अधिकारियों में शुमार है, जो अपनी ईमानदारी, सादगी और अच्छे व्यवहार के कारण जाने जाते हैं. और शिक्षा जगत में बेहतर काम कर रहे उत्तराखंड के बलूनी क्लासेज़ के संस्थापक विपिन बलूनी जी और नालन्दा शिक्षण संस्थान श्यामपुर ऋषिकेश के संस्थापक महावीर उपाध्याय जी से यूट्यूब चैनल व पोर्टल
यमुनोत्री एक्सप्रेस न्यूज़ के लिए की गई बातचीत के कुछ अंश….
2011 बैज के आईएएस ललित मोहन रयाल कहते है कि
अमूमन यह होता है कि हममें बहुत सारे लोग यह समझ कर कि उनसे संभव नहीं है. सबसे बड़ी चीज है आपके अंदर की जीवटता और आत्मविश्वास. यह सबके अंदर है. यह जिजीविषा सबके अंदर ईश्वर प्रदत्त है. हमारे पास दिमाग है, जो बहुत दूर तक सोच सकता है. विचारों को ब्रह्मांड से निकाल कर मूर्त रूप दे सकता है. जहां हम यह सोच लेते हैं कि यह हमसे संभव नहीं है, वहीं पर हम आधा हार जाते हैं. यह नहीं करना है. बहुत सारे लोग भाषा की समस्या में उलझ जाते हैं. कोई समस्या नहीं है. बस आपको यह ठान लेना है. जब आप कोई निश्चय कर लेते हैं, तो सारे ब्रह्मांड की शक्तियां आपके साथ आ जाती हैं. जब मैंने सोचा इसमें विविधता है. कार्यों के लिए आपके पास अवसर हैं. समाज सेवा और देश सेवा के लिए यह एक बेहतरीन सर्विस मानी जाती है.
शिक्षा जगत में मानी जानी शख्शियत विपिन बलोनी कहते है कि समाज में हम आज भी मानते हैं कि यह शिक्षा बहुत अच्छी सेवा है, तो क्यों नहीं इसके लिए हम प्रयास करें. उत्तराखंड की लोक संस्कृति ,साहित्य की जानकारी देना भी हम सभी का कर्तव्य है।
युवाओं के लिए यह विश्व पटल बहुत विस्तीर्ण है. कोई नहीं कहता है कि अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दें. छोटे-छोटे काम भी तो हम कर सकते हैं।
नालन्दा शिक्षण संस्थान इंटर कालेज के संस्थापक महावीर उपाध्याय कहते है कि ग्रामीण परिवेश में शिक्षा देना एक चुनौती जरूर है पर कठिन नही
यह देश और समाज आपको कितना कुछ देता है. प्रकृति के माध्यम से आपने हवा, पानी और जीवन, सब कुछ लिया. कुछ लौटाएं भी. समाज और प्रकृति के माध्यम से. प्रकृति के साथ जीना भी सीखें. जब आप प्रकृति के साथ जीना सीखते हैं, तो उतने ही सरल, उतने ही कर्मठ और संघर्षमय भी होते हैं. दो चीजें जरूर ध्यान में रखें. एक तो असंभव जैसी कोई चीज नहीं है. दूसरा सबके साथ, सबके प्रति सम्मान होना चाहिए।