जयप्रकाश बहुगुणा
बड़कोट /उत्तरकाशी
उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है,यहां स्थित चार धाम, यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ तो विश्व विख्यात हैं ही लेकिन यहां के हर क्षेत्र हर गांव की एक अपनी अलग ही संस्कृति व देव मान्यता है ! यहां की पौराणिक संस्कृति व पारम्परिक वेश भूषा को लोग आज भी अपने इष्ट देवताओं के मेलों व जातर के माध्यम से संजोये हुए हैं !यहां वर्ष के बारह महीनों में बारह त्यौहार होते हैं, इसके अतिरिक्त दीपावली, देवलांग, होली, ईगास बग्वाल, हरेला, बिस्सु मेला, गेंद मेला, उत्तरायणी, माघ मेला सहित दर्जनों उत्स्व यहां हर क्षेत्र में अपनी परम्परा व संस्कृति के अनुरूप बड़े ही सदभाव व उल्लास के साथ मनाये जाते हैं !
उत्तराखंड के सीमान्त जनपद उत्तरकाशी के गंगा व यमुना घाटी में भी हर क्षेत्र, गांव में अपनी अनूठी व पारम्परिक संस्कृति के अनुरूप मेलों का आयोजन होता हैं !इन मेलों में यहां का एक सुप्रसिद्ध मेला है हजारों लोगों की आस्था की केंद्र माँ भद्रकाली की भादों की जातर जो रंवाई घाटी की बड़कोट व पुरोला तहसील की विभिन्न पट्टियों के एक दर्जन से अधिक गावों में मनाया जाता है ! भादों मास की अष्टमी को बड़कोट पट्टी से आरम्भ होने वाले यह मेले मुँगरसंती पट्टी व कमल सिराई पट्टी के कई गावों में बड़ी धूमधाम से मनाये जाते हैं !माँ भद्रकाली के मूलतः दो थान हैं, जहाँ इनके मुख्य मंदिर स्थित हैं, प्रथम व मूल थान बड़कोट पट्टी का ग्राम मोल्डा में स्थित है जहाँ माँ भद्रकाली का पौराणिक दिव्य व भव्य मंदिर स्थित है, जबकि दूसरा थान ग्राम पौंटी में स्थित है यहां पर भी माँ भद्रकाली का भव्य मंदिर (पुनर्निर्माण )स्थित है !माँ भद्रकाली एक साल मोल्डा थान व एक साल पौंटी थान में प्रवास करती है !इस वर्ष माँ भद्रकाली पौंटी थान में विराजमान है !पंचमी के दिन माँ भद्रकाली की भादों की जातर डण्डाल गांव में मनाई गई जबकि सप्तमी को माँ की डोली अपने थान में विराजमान हो गई !पुनः श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को माँ भद्रकाली की दिव्य डोली अपने गर्वगृह से बाहर आई व उसी दिन से भादों की जातर की शुरुवात हुई !माँ भद्रकाली की भादों की जातर पौंटी से शुरू होकर ग्राम मोल्डा, हुडोली, पानीगांव, नैलाडी, बिनाई, कन्ताडी, खांसी, पलेठा, सुनारा, सौंदाड़ि आदि गावों में धूमधाम से मनाये जा रहे हैं !इन मेलों में माँ की डोली के साथ उनके ज्येष्ठ पुजारी श्री कुलानन्द बहुगुणा,माली बुधिराम बहुगुणा व देवप्रसाद बहुगणा सहित अन्य पुजारी माँ के परम भक्त बाजगी बंधु प्रत्येक गांव जाकर पूजा अर्चना कर रहे हैं !जिन विभिन पट्टियों के गावों में माँ भद्रकाली के मेलों का आयोजन किया जा रहा है उन गावों को सामूहिक तौर पर भड़गाव पट्टी के नाम से पुकारा जाता है !मेलों में स्थानीय ग्रामीणों के साथ ही बाहर से आये श्रद्धालु व धियाणीयाँ (गांव की विवाहित बेटी )पारम्परिक लोकगीतों पर जमकर तांदी, रासु नृत्य कर अपनी संस्कृति की अलख जगा रहे हैं, तथा माँ भद्रकाली का आशीर्वाद लेकर अपने को धन्य कर रहे हैं !माँ भद्रकाली में मेलों में हजारों की संख्या में लोग शामिल हो रहे हैं !