दिनेश शास्त्री
देहरादून।
राजनीति के चतुर सुजान् हरीश रावत ने सोशल मीडिया के जरिये कांग्रेस को बैक फुट पर धकेल दिया है। हालाँकि अब पोस्ट को हटा दिए जाने की बात भी सामने आ रही है लेकिन उन्होंने पार्टी नेतृत्व को काफी कुछ सोचने के लिए विवश कर दिया। हरदा की पोस्ट के बाद कांग्रेस को सांप सा सूंघ गया। देर रात तक डेमेज कण्ट्रोल की कोशिशें जारी थी। यह अलग बात है कि हरदा के इस प्रहार् का कोई तोड़ नेताओं को सूझ नहीं रहा है।
प्रदेश में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता व पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए सीधे तौर पर कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद यादव की भूमिका पर सवाल उठाए। उनका साफ कहना था कि उन्होंने मेरे हाथ बाँध लिए हैं। लगे हाथों उनके सलाहकार सुरेंद्र अग्रवाल ने देवेन्द्र यादव पर बीजेपी के इशारों पर काम करने का आरोप लगा डाला और हाइकमान से भी इस मामले का संज्ञान लेने की बात कह दी। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस के भीतर की कलह खुलकर सामने आ गई। दरअसल यह ऐसी दबाव की राजनीति है जिसमें आलकमान उलझ गया है। दोनों में से किसे साथ रखे।देवेन्द्र् को या हरदा को? दोनों ही आँख के तारे हैं। प्रदेश की राजनीति के जानकार यह तो मानते हैं कि कांग्रेस के भीतर का यह घटनाक्रम उसे चुनाव में नुकसान भी पहुंचा सकता है। हालांकि हरदा द्वारा अपनी पीड़ा को जगजाहिर करने के और भी मायने हो सकते हैं। जिस पर अगले कुछ दिन में स्थिति साफ हो सकती है। लेकिन आज के घटनाक्रम से पार्टी में भूचाल तो आ ही गया है। कांग्रेस नेताओं की स्थिति यह है कि काटो तो खून नहीं। पार्टी का कोई नेता इस मामले पर मुँह खोलने के लिए तैयार नहीं है।
बुधवार को ही हरदा ने एक और कमाल किया। उनसे यूकेडी के नेता मिलने पहुँच गए। यह मुलाकात अनायास तो नहीं थी। बेशक यह सामान्य मुलाकात बताई जा रही है लेकिन जब बड़ा बम फूट चुका हो तो इस तरह की मुलाकात सामान्य नहीं होती। यह एक तीर का ही निशाना है। साफ संदेश है कि हरदा को चेहरा घोषित किया जाए। यह काम उन्होंने बहुत खूबसूरती से कर दिया है। निसंदेह अब पार्टी नेतृत्व को उनकी मांग माननी ही होगी और अगले कुछ दिन में यह बात साफ हो जाएगी।
बहुत संभव है कि पार्टी ने उत्तराखण्ड के लिए जो प्रभारी तैनात किया है उसे बदल दिया जाए और यहाँ हरदा के माफिक नया प्रभारी भेज दिया जाए। दूसरे यूकेडी के साथ भी चैनल खोल दिया है। बात न बनी तो मोर्चा तो बन ही सकता है। देखते रहिए, अभी बहुत कुछ जल्द सामने आने वाला है। कांग्रेस को पहली बार कोई दमदार नेता मिला है जो उसे अपनी शर्तों पर चला सकता है। कुछ लोग बेशक हरदा के फैसले को लेकर शक जता रहे हों लेकिन यह उनका मास्टर स्ट्रोक ही है। कांग्रेस उनकी ज्यादा देर तक उपेक्षा नहीं कर सकती। आप भी घटनाक्रम पर नजर रखिये। आगे दिलचस्प नजारा देखने को मिल सकता है।
टीम यमुनोत्री Express