जय प्रकाश बहुगुणा
आराकोट/उत्तरकाशी
18अगस्त2019 की वह डरावनी व दर्दनाक सुबह अभी तक टिकोची सहित बंगाण क्षेत्र के लोगों के जेहन में अभी भी है।उस दिन को यादकर लोग अभी भी सिहर उठते हैं।उस दिन सुबह आई आसमानी आफत से पूरे आराकोट बंगाण ,कोटी गाड़ क्षेत्र में जल प्रलय जैसी स्थिति हो गई थी।कई लोग काल के गाल में समा गए, कई वाहन डूब गए, भवन क्षतिग्रस्त हो गए,सेब के बगीचे तहस नहस हो गए थे।सबसे ज्यादा नुकसान हुआ टिकोची कस्बे को यहाँ कई निजी व सरकारी भवन भीषण बाढ में बह गये थे।इन्हीं में एक भवन था राजकीय इण्टर कॉलेज टिकोची का, जिसका नामो निशान मिट गया था।लेकिन तब से लेकर अब तक सरकार की तरफ से यहाँ भवन की कोई ब्यवस्था नहीं की गई है।इस कॉलेज में लगभग दो सौ के करीब छात्र-छात्राएं अध्ययन रत हैं, जूनियर स्कूल का एक जीर्ण शीर्ण भवन यहाँ पर है जिसकी छत लकड़ी की बल्लियों के सहारे बमुश्किल टिकी हुई है, जो कभी भी हादसे का सबब बन सकता है। कॉलेज के शिक्षकों का कहना है कि जाये भी तो जाएं कहाँ, न विभाग की तरफ से न सरकार की तरफ से कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है, और न नए भवन निर्माण की दिशा में कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।बमुश्किल कोरोना काल के बाद कॉलेज खुला लेकिन छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।पूर्व ग्राम प्रधान श्रीमती शशी नौटियाल का कहना है कि स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने कई बार शिक्षा विभाग व शासन को लिखित व मौखिक रूप से कॉलेज के भवन के बारे में अवगत कराया है लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है।जिससे सभी अभिभावकों व जनप्रतिनिधियों में शासन प्रशासन के प्रति आक्रोश व्याप्त है।यदि सरकार शीघ्र राजकीय इण्टर कॉलेज टिकोची के भवन निर्माण व बैकल्पिक ब्यवस्था के बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो क्षेत्रवासियों को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
विदित रहे कि18 अगस्त2019 को क्षेत्र में आई बाढ़ के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान एक सप्ताह तक प्रभावित क्षेत्र में डेरा डाले हुए रहे थे उन्होंने सभी ब्यवस्थाओं को शीघ्र दूरस्थ करने का भरोसा दिया था लेकिन तब से अब तक इस कॉलेज की सुध लेने वाला कोई नहीं है।यहाँ तक की इस कॉलेज में छात्र-छात्राओं के लिए एक शौचालय तक नहीं है।अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस हालात में इस कॉलेज के स्टाफ व नौनिहाल यहाँ पठन पाठन कर रहे होंगे।