दिनेश शास्त्री
देहरादून। उत्तराखंड में
गढ़वाल मंडल विकास निगम और कुमाऊं मंडल विकास निगम दो प्रमुख पर्यटन कारोबार करने वाले सरकारी प्रतिष्ठान हैं। पिछले दो साल से दोनों निगम गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। जीएमवीएन की परिसंपत्तियां सरकार ने कोविड 19 से लड़ने में लगा दी थी। पिछले साल यात्रा सीजन के उत्तरार्द्ध में कुछ दिन पर्यटक आए भी लेकिन इस साल फिर लॉकडाउन ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। जीएमवीएन के संवेदनशील कार्मिकों ने निगम की खस्ता हालत को सुधारने के लिए सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं।
कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री से निगम को सरकार से 100 करोड़ रुपए व्याज मुक्त ऋण दिए जाने की मांग की है। कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मनमोहन चौधरी ने सीएम को भेजे पत्र में निगम को पुनः स्थापित करने हेतु फल संरक्षण, जड़ी बूटी आदि का कार्य दिलाने की मांग भी की है, जो कि भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल है।
गौरतलब है कि कोरोना काल में उपजे हालात से
गढ़वाल मंडल विकास निगम की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। इसमें सुधार के लिए जीएमवीएन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मनमोहन चौधरी ने एक बार फिर सीएम की चौखट पर दस्तक दी है। उन्होंने सीएम को भेजे पत्र में कई सुझाव दिए हैं।
श्री चौधरी ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि विगत लगभग 45 वर्षों से निगम के कर्मचारियों में पर्यटन को क्षेत्र में देश विदेश से आने वाले पर्यटकों एवं अतिथियों के सत्कार में नित्य नए आयाम स्थापित किये, साथ ही प्रदेश में आने वाले विशिष्ट एवं अतिविशिष्ट लोगों के आदर सत्कार की जिम्मेदारी भी बखूबी निभायी। इसके अतिरिक्त सरकारी कार्यक्रमों जैसे गैरसैंण में विधानसभा सत्र, केदारनाथ में कैबिनेट बैठक एवं समय-समय पर अन्य स्थानों पर होने वाली केबिनेट बैठकों के लिए भोजन, जलपान, आवासीय जिम्मेदारी का सफलतापूर्वक निष्पादन किया।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि विगत वर्ष से कोविड 19 वैश्विक महामारी के संक्रमण एवं बचाव के कार्यों में निगम की समूची व्यवस्था को झोंका गया है। निगम के तमाम अतिथि गृह कोविड केयर सेन्टर के रूप में संचालित किये जा रहे हैं। इनमें निगम के कार्मिकों द्वारा अपनी जान जोखिम में डाल कर संक्रमित व्यक्तियों के खानपान, रहने की व्यवस्था में निरन्तर सेवा की जा रही है। वे फ्रंट लाइन वर्कर की तरह पूरी मुस्तैदी से डटे हुए हैं और एक तरह से पारंगत भी हो चुके हैं।
चौधरी का कहना है कि विगत दस वर्षों से प्रदेश में आ रही दैवीय आपदा एवं मौजूदा वैश्विक महामारी के कारण निगम का पर्यटन व्यवसाय पूर्णत ठप हो चुका है। इस कारण निगम कर्मचारियों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा है। इसका सीधा असर कर्मचारियों के जीवनस्तर पर पड़ रहा है। यानी कर्मचारियों को अपने परिवार के भरण पोषण करने में आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व में भी कर्मचारी संघ द्वारा सरकार से 20 करोड़ रुपए अनुदान के रूप में मांग की गयी थी। चौधरी ने कहा कि उत्तराखण्ड में आये दिन आ रही दैवीय आपदा, वैश्विक महामारी से पर्यटन व्यवसाय पूर्णत प्रभावित होने के कारण निगम को अन्य आय के संसाधन जैसे खनन, मंदिरा का फुटकर व्यवसाय का एकाधिकार का कार्य दिया जाए। सरकार से यह भी आग्रह किया गया है कि कोविड केयर सेन्टर में कार्यरत पर्यटन कर्मचारियों को सम्बन्ध विभाग में समायोजित किया जाय। देखना यह है कि सरकार कर्मचारियों की मांग को कितना महत्व देती है।
टीम यमुनोत्री Express