सुनील थपलियाल
देहरादून।
निजी अस्पतालों में आयुष्मान भारत के कार्डधारकों को चक्कर पर चक्कर लगवाये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ लेना मरीजो व उनके तीमारदारो के लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है, एक छोटी सी जांच के लिए एप्रुबल लेने के लिए पूरा दिन चक्कर कटवाये जा रहे है। नतीजा यह है कि थक हार कर कई मरीजों के परिजन आयुष्मान कार्ड का चक्कर छोड़ निजी खर्चे पर इलाज करवाने को विवश होना पड़ता हैं।
मालूम हो कि उत्तराखंड में कमोबेश सभी निजी अस्पतालों में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत आयुष्मान कार्डधारकों के लिए निःशुल्क इलाज के बड़े बड़े बोर्ड लगाये हुए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत है। सच यह है कि निजी अस्पताल में आने पर पहले मरीज को इमरजेंसी में भर्ती करवाया जाता है ,40 से 50 हजार खर्च करवाने के बाद आयुष्मान कार्ड की जानकारी दी जा रही है। अगर कोई आयुष्मान कार्डधारक है तो उसे इतने चक्कर लगवा दिए जा रहे हैं कि उसकी हिम्मत साथ छोड़ देती है। होगी भी क्यो नही कभी सरकार द्वारा जारी आयुष्मान वेबसाइट बन्द होने का बहाना, तो कभी दस्तावेज ऑनलाईन चढ़ाने, तो कभी स्टेम्प लगवाने के बहाने चक्कर लगवाये जा रहे हैं। इतना ही नहीं, अगर कोई जांच डॉक्टर ने लिख दी तो उसके एप्रबुल के लिए आयुष्मान काउन्टर के चक्कर लगवाये जा रहे हैं, हालत यह है कि आयुष्मान काउन्टर में टोकन सिस्टम किया हुआ है। अगर गलती से कोई इधर उधर हो गया तो उसको अगले दिन पंजीकरण करने को बोल दिया जाता है। जबकि पहले प्रधानमंत्री स्वास्थ्य कार्ड रहा हो या मुख्यमंत्री स्वास्थ्य कार्ड, अगर कोई अस्पताल में भर्ती हो जाता था, उसकी सारी जिम्मेदारी निजी अस्पताल की होती थी, एप्रुबल लेने का कोई चक्कर नहीं होता था। इन्हीं अस्पतालों के कर्मचारी ही सभी व्यवस्था देखते थे। परंतु आयुष्मान कार्डधारकों को व उनके परिजनों को इतना परेशान किया जा रहा है कि आखिर में वह निजी खर्चे पर इलाज कराने को विवश हो रहे हैं। महन्त इंद्रेश अस्पताल में आयुष्मान कार्डधारक बेहद परेशान हैं। परिजन रमेश सिंह, आशा देवी, सकल चन्द ,धर्मेंद्र सिंह, मुकुल कुमार, वीरेंद्र सिंह, सुनील आदि कहते हैं कि आयुष्मान काउन्टर पर बेहद परेशान किया जा रहा है। उनका कहना था कि हमारा मरीज वॉर्ड में भर्ती है, चिकित्सक की देखरेख में है, अगर आयुष्मान कार्ड का लाभ लेना हो तो वार्ड से कर्मचारी और आयुष्मान काउन्टर के कर्मचारी बड़ा चक्कर लगवा रहे हैं। एक गलती जो अस्पताल की ओर से हुई हो तो भी मरीज के परिजनों से चक्कर लगवाये जाते हैं। बिना एप्रुबल के कोई जांच नहीं की जाती। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस तरह की व्यवस्था की जाए जिससे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत जारी आयुष्मान कार्डधारकों को निजी अस्पताल परेशान न करें, एक बार जो मरीज भर्ती हो जाता है, उसके सभी दस्तावेज के एप्रुबल की जिम्मेदारी उक्त अस्पताल उठाये। उन्होंने कहा कि परिजन पहले ही अपने मरीज की पीड़ा से दिक्कत में होते हैं, अब ऐसे में अस्पताल कर्मी भी तंग करें तो दोहरी मार असहनीय हो जाती है।
टीम यमुनोत्री Express