बड़ा सवाल – आला अफसरों ने क्यों साधा मौन, अफसर मंत्री सब बरत रहे नरमी।
सुनील थपलियाल
उत्तरकाशी।
गोविंद वन्य जीव विहार राष्ट्रीय पार्क पुरोला नैटवाड़ के दबंग उप निदेशक कोमल सिंह नियमों की परवाह किए बिना एक के बाद एक मामले को लेकर चर्चा में हैं। कसला से रिखटी की ओडी तक मार्ग की मरम्मत कार्य के भुगतान का जो खुलासा सूचना अधिकार से प्राप्त सूचना से हुआ, वह चौंकाने वाला है। इस मामले में ठेकेदार जनक सिंह से उप निदेशक कोमल सिंह की कथित सांठगांठ स्पष्ट मालूम होती है। करीब आठ किमी लंबे इस पैदल मार्ग का टेंडर जनक सिंह को लगभग 8.5 लाख रुपए में स्वीकृत हुआ था, किंतु कार्य के स्वीकृत प्राक्कलन उपलब्ध न होने के एक सप्ताह बाद ही तत्कालीन उप निदेशक सुबोध काला ने अग्रिम आदेशों तक कार्य पर रोक लगा दी गई थी। कार्य पर लगी रोक कोमल सिंह द्वारा 20 नवंबर को हटाते हुए कार्य पुन प्रारंभ किए जाने के निर्देश ठेकेदार जनक सिंह को दिए गए, किंतु जनक सिंह ने 19 नवंबर को पत्र देकर कार्य के पूर्ण भुगतान की मांग कर डाली। उप निदेशक कोमल सिंह द्वारा रेंज अधिकारी सूपिन को भुगतान हेतु निर्देशित किया गया, जिसमें प्राक्कलन के आधार पर 40 हजार रुपए के भुगतान की संस्तुति की गई। पुन उप निदेशक कोमल सिंह द्वारा तीन रेंज अधिकारियों की समिति का गठन किया गया तथा कार्यों की जांच हेतु निर्देशित किया गया। समिति द्वारा अपनी जांच में 18600 रुपए का कार्य होना मौके पर पाया गया। रिपोर्ट के साथ रेंज अधिकारी सूपिन द्वारा गलत सूचना देने के लिए ठेकेदार जनक सिंह को ब्लैक लिस्टेड करने तथा संलिप्त कार्यालय कर्मियों जिनके द्वारा मिलीभगत से गलत सूचना देने पर विरुद्ध कार्यवाही किए जाने की अपेक्षा की गई।
मामले में मोड़ तब आया जब ठेकेदार जनक सिंह का पक्ष लेते हुए कोमल सिंह उप निदेशक गोविन्द पशु विहार द्वारा तीन रेंज अधिकारियों द्वारा की गई जांच की जांच करने के लिए एक आउटसोर्स कार्मिक को आदेश कर डाला जिससे वे इस भुगतान को बिना कार्य किए जनक सिंह ठेकेदार को दे सकें, किंतु उप निदेशक द्वारा न तो ठेकेदार का स्पष्टीकरण लिया गया और न ही कार्यालय स्टाफ का। ठेकेदार जनक सिंह के भुगतान हेतु उप निदेशक कोमल सिंह द्वारा तत्कालीन रेंज अधिकारी सूपिन पर दबाव बनाया जाने लगा, किंतु भुगतान की कार्यवाही नहीं की जा सकी।
इसके बाद तत्कालीन रेंज अधिकारी को कार्यालय से संबद्ध कर नवीन रेंज अधिकारी से मिलीभगत कर बिना काम किए ही कार्य का पूर्ण भुगतान कर दिया गया, जबकि कार्य न होने की शिकायत ग्रामवासियों द्वारा भी की गई थी। इतना ही नहीं बिना काम भुगतान जिन कार्यों का किया गया। वैसे उनके क्रियाकलापों की सूची बड़ी लम्बी है किंतु वन विश्राम भवन सांकरी, नैटवाड़, जखोल, तालुका, इस्त्रा गाड़ , फिताड़ी से रिखती की ओडी व कासला से गणमनी तक पैदल मार्ग, भैरवाटा खड्ड में लॉग ब्रिज मनोरा नैटवाड़ में सूअर रोधी दीवार तथा कैट प्लान सहित करोड़ों के कार्यों का भुगतान बिना कार्य के ही कर दिया गया। एमबी भी पूरी भर दी गई जिसमें वित्तीय नियमों की धड़ल्ले से अनदेखी कर धन बटोरा गया। कई बार शिकायत होने के वावजूद अपनी पहुंच रखने के कारण कोमल सिंह की जांच विभाग द्वारा शुरू ही नहीं की गई। कोमल सिंह की कितनी पहुंच है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूर्व पीसीसीएफ (हॉफ) जयराज को भी धमकी भरा पत्र लिख डाला किंतु कोई उसका कुछ भी नही कर सका।
क्या कहते है अधिकारी
दूसरी ओर उपनिदेशक कोमल सिंह ने बताया कि उनके खिलाफ की जा रही शिकायत निराधार है। उनके द्वारा सभी कार्य नियमानुसार किए गए हैं।
हालांकि गोविंद वन्य जीव पशु विहार राष्ट्रीय पार्क के
प्रभारी निदेशक व राजा जी पार्क के निदेशक डी.के. सिंह ने दूरभाष पर बताया कि उपनिदेशक कोमल सिंह के एक मामले में स्पष्टीकरण तलब किया गया है, जो अभी तक नहीं मिला है, अगर निर्माण कार्यो में फर्जी भुगतान की शिकायत आती है तो उस पर हर पहलू को देखकर जांच की जायेगी। दोषी पाये जाने पर कार्यवाही की जायेगी।
बहरहाल इस एक अदद मामले ने वन विभाग के कामकाज पर सवाल खड़े जरूर किए हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि सब कुछ आईने की तरह साफ होने पर भी आला अफसर से मंत्री तक मौन क्यों साधे हुए हैं, यह भी सवाल स्वाभाविक है कि कितने लोग ‘कोमलता’ से लाभान्वित हो चुके हैं अथवा कोमलता के साथ रवैया क्यों अपनाए हुए हैं।
टीम यमुनोत्री Express