ऊर्जा प्रदेश में बिजली की दरें कम की जाए
विद्युत नियामक आयोग के समक्ष जन सुनवाई में
उपभोक्ताओं ने रखा अपना पक्ष
घाटा कम करने के लिए अन्य रास्ते तलाशने पर दिया गया जोर।
देहरादून। उत्तराखंड के आम बिजली उपभोक्ताओं ने ऊर्जा प्रदेश होने के नाते राज्य में कम दर पर बिजली उपलब्ध कराने की मांग की है। उपभोक्ताओं ने शनिवार को विद्युत नियामक आयोग के समक्ष जनसुनवाई के दौरान अपनी दलीलें रखी। उपभोक्ताओं की ओर से कहा गया कि यहां काफी संख्या में पनबिजली संयंत्र होने के नाते स्थानीय उपभोक्ताओं को कम दर पर बिजली दी जानी चाहिए। यूपीसीएल बिजली वितरण में आ रहे नुकसान की भरपाई के लिए अन्य रास्ते तलाश कर आम लोगों को राहत पहुंचाए, जन कल्याणकारी राज्य के मुख्य सिद्धांत को अपनाते हुए उपलब्धता तथा वितरण के खर्च को कम करने के लिए तकनीकी सुधार करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। इस दौरान उद्योगपतियों ने भी यूपीसीएल के प्रस्ताव से असहमति जताते हुए अपनी मांगे रखी। उद्योगपतियों ने आयोग के समक्ष उत्तराखंड पावर कारपोरेशन के एकाधिकार को चुनौती दी। उद्योगपतियों ने कहा कि उनके पास बिजली की समस्या को दूर करने के लिए कोई रास्ता नहीं है। उत्तराखंड के कई उद्योग संगठनों के तरफ से लिखित में प्रत्यावेदन दिया गया। उन्होंने मीटर की जांच के लिए किसी तीसरी पार्टी को बीच में लाने की जरूरत पर जोर दिया। उद्योगपतियों का कहना है कि मीटर में खराबी होने की जांच के लिए अन्य कंपनियों को हायर किया जाना चाहिए।
दूसरी ओर यूपीसीएल ने अपने खर्च तथा आमदनी के बीच साढे 14% के अंतर को आयोग के समक्ष रखा। यूपीसीएल के तरफ से प्रस्ताव दिया गया कि उनका घाटा करीब 15% है। इसलिए वर्तमान समय में कोरोनाकाल के मद्देनजर बिजली दर में कम से कम 4 प्रतिशत बढ़ाई जाए तथा आने वाले समय में इसे क्रमशः 5 5% बढ़ाए जाने का प्रस्ताव दिया। यूपीसीएल की तरफ से दिए गए प्रस्ताव का कई संगठनों ने विरोध किया है।
उपभोक्ताओं की ओर से यूपीसीएल के स्टाफ के कमी के कारण गुणवत्ता परक बिजली उपलब्ध नहीं होने की शिकायत की गई। इस बारे में यूपीसीएल ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कर्मचारियों की कमी की बात स्वीकार की। यूपीसीएल में कई लोगों को कांटेक्ट पर रखा गया जिनकी कोई जवाबदेही नहीं होती। इसलिए सर्विस में दिक्कत आती है। इसलिए यूपीसीएल को अपने स्तर पर ऐसा करना चाहिए। इस सुनवाई में 25 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया
यूपीसीएल ने अपनी आय और व्यय में 14 के घाटे के बारे में नियामक आयोग को जानकारी दी। यूपीसीएल ने बताया कि उनकी आमदनी और खर्च के बीच साढ़े 14 प्रतिशत का अंतर है। इस फर्क को देखते हुए बिजली की दर को बढ़ाया जाना चाहिए। यूपीसीएल ने अपने प्रस्ताव में इस बार को कई साल में विभक्त करने के लिए इस साल सिर्फ सारे 4% बिजली भी दर बढ़ाए जाने का प्रस्ताव दिया था यूपीसीएल के प्रस्ताव के मुताबिक अगले 2 साल में क्रमबद्ध रूप से पांच फीसद दर बढ़ाई जाए।
इस प्रस्ताव को 12 अप्रैल को होने वाले विद्युत सलाहकार समिति के समक्ष रखा जाएगा। उसके बाद सभी पहलुओं पर विचार के बाद इन सभी प्रस्तावों को ध्यान में रखते हुए आयोग अंतिम फैसला लेगा।
यूपीसीएल के इस प्रस्ताव का उद्योगपतियों ने विरोध करते हुए इसे उद्योगो के हितों के खिलाफ बताया।
टीम यमुनोत्री Express