दिनेश सेमवाल शास्त्री
देहरादून। साल 2022 का विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए निसंदेह बड़ी चुनौती होगा, उससे बड़ी चुनौती भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के लिए है। तीरथ सिंह का राजतिलक एक अप्रत्याशित घटना के रूप में माना जा रहा है, कारण यह कि वे तो लोकसभा में अपना योगदान दे रहे थे। पार्टी के सामने कोई अन्य विकल्प नहीं था तो बेहतर विकल्प के रूप में उन्हें मैदान में उतारा गया लेकिन कौशिक तो काबीना मंत्री थे, उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि इस पर्वतीय प्रदेश में पार्टी को एकसूत्र में बांध कर चुनाव जीतना भी होगा और जिताना भी होगा। दूसरे पार्टी की प्रतिष्ठा को भी बरकरार रखना होगा।
राज्य विधान सभा में भाजपा के पास प्रचंड बहुमत है। उसके पास 57 विधायक हैं। यह स्थिति बरकरार रखना ही सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि पिछले चुनाव में कांग्रेस की नाकामियों और थोक में हुई बगावत से भाजपा 57 का आंकड़ा छूने में सफल हो पाई थी। राजनीति में हमेशा एक जैसी स्थितियां नहीं रहती। तब अगर कांग्रेस के प्रति नाराजगी थी तो पिछले चार साल में भाजपा भी जनता को पूरी तरह खुश नहीं रख पाई है, हालांकि नेतृत्व परिवर्तन कर पार्टी ने कुछ हद तक लोगों की नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया है लेकिन असल परीक्षा तो पार्टी अध्यक्ष की होनी है।
मदन कौशिक के पास जुम्मा जुम्मा सात महीने का समय है। इससे पहले इतनी बड़ी पार्टी को हैंडल करने का कौशल दिखाने का मौका उन्हें कभी मिला नहीं है। मुख्यमंत्री तो डिलीवरी देते दिख भी रहे हैं और देवस्थानम बोर्ड को ठंडे बस्ते में डाल कर, कोरोनाकाल में दर्ज मामले निरस्त कर और कुछ दूसरे मामलों में उन्होंने जनता की नाराजगी को कम करने की भरसक कोशिश की है। दूसरी और कौशिक अभी तक अफसरों को ही निर्देश देते रहे हैं, मेंढकों को तोलने का वक्त तो अब आया है। जाहिर है 57 सीटें दोबारा जीतना तो संभव नहीं है लेकिन पार्टी को कम से कम 40 के आंकड़े तक पहुंचाना आसान भी नहीं है।
वैसे इन दिनों श्री कौशिक प्रदेश का सघन दौरा कर रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भी भरा जा रहा है, लाख टके का सवाल यही उभरता है कि क्या उनकी राह आसान है भी या नहीं।
अगले चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहेगा, यह सवाल ही बेमानी है, कांग्रेस की संभावनाएं तो 17 अप्रैल को सल्ट के उपचुनाव के बाद स्पष्ट हो जायेगी लेकिन बड़ी परीक्षा तो भाजपा की है और वह भी प्रदेश अध्यक्ष के नाते कौशिक की होगी। जाहिर है उनको बहुत ज्यादा पसीना बहाने की जरूरत होगी, एक बार फिर वही बात उभरती है कि मात्र अधिकतम सात माह में वे कितना बेहतर परफॉर्म कर पाते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।
yamunortri Express