Hindi news (हिंदी समाचार) , watch live tv coverages, Latest Khabar, Breaking news in Hindi of India, World, Sports, business, film and Entertainment.
देहरादून बड़ी खबर राजनीति राज्य उत्तराखंड

सामयिक: बड़े खतरे हैं जनाब इस राह में ,C.M.के बोल…….

दिनेश शास्त्री
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने एक बार फिर आ बैल मुझे मार की कहावत को चरितार्थ कर दिया। भोलेपन की यह इंतहा ही कही जाएगी लेकिन इससे उनके विरोधियों के हाथ बिना मांगे मुद्दा जरूर लग गया है। अभी फटी जींस का मुद्दा बड़ी मुश्किल से शांत हुआ था, वह भी खेद व्यक्त करने के बाद, लेकिन रविवार को रामनगर में एक बार फिर सीएम की जुबान फिसली और विपक्ष ने मुद्दा लपक लिया। मोर्चा संभाला पूर्व सीएम हरीश रावत ने। उन्होंने न सिर्फ सीएम के सामान्य ज्ञान पर सवाल उठाया बल्कि कटाक्ष करने से भी नहीं चुके। फिर बाकी लोग कहां चूकने वाले थे। देखते ही देखते मधुमक्खी के छत्ते से हमला हो गया।
राजनीति में वाणी का सीमित और मृदुल उपयोग बेहद जरूरी होता है। सीएम निसंदेह सज्जन हैं, वे बेलोस बिना लाग लपेट के सहजता से अपनी बात जनता के सामने रखते रहे हैं। नाटकीयता से दूर रहने वाले तीरथ सिंह रावत को इतिहास और भूगोल की न सिर्फ बेहतर समझ है, बल्कि वे एक अच्छे अध्येता भी हैं। रामनगर में ब्रिटेन की जगह अमेरिका का भारत को गुलाम बना देने की बात पर जिस तरह पूर्व सीएम हरीश रावत ने कटाक्ष किया, उससे साफ हो गया कि उनके एक – एक शब्द पर लोग पैनी नजर लगाए बैठे हैं। इस कारण उन्हें ज्यादा सावधानी की जरूरत है। दूसरे आपदा काल में राहत के लिए वितरित राशन के वितरण पर लोगों की प्रतिक्रिया पर उनका कथन विपक्ष ने इस तरह लपका कि मानो वे इस बात का इंतजार ही कर रहे थे और सीएम ने उनकी मुराद पूरी कर दी।सीएम का कहना था कि जिस परिवार में बीस सदस्य थे, उन्हें पांच किलो प्रति सदस्य के हिसाब से एक क्विंटल राशन मिला और और जिसके दो सदस्य थे, उन्हें दस किलो राशन मिला। दरअसल कुछ लोगों ने इस बात पर ईर्ष्या जताई थी कि बड़े परिवार वालों को ज्यादा राशन मिला और उनको कम मिला, जाहिर है, इस पर कोई भी सहज भाव से कह सकता है कि समय पर ज्यादा बच्चे पैदा करते तो शिकायत नहीं रहती, सीएम ने भी यही बात कही लेकिन बात का बतंगड़ बनते देर नहीं लगी और सोशल मीडिया के इस दौर में गिद्ध दृष्टि ने एक बार फिर तीरथ सिंह रावत को असहज स्थिति में ला दिया। देर सवेर इस प्रकरण पर विराम लग जायेगा लेकिन विपक्ष, जिसके पास फिलहाल कोई मुद्दा नहीं था, उसे बोलने का मौका मिल गया है। निसंदेह यह वाणी दोष की श्रेणी में गिना जाता है। इसका वक्त रहते निदान जरूरी है, क्योंकि 2022 के अग्निपरीक्षा उनके सामने है और विपक्ष चाहेगा कि वे अपने मुख्य मकसद से भटक कर उनके मंसूबे पूरे करने के लिए अनावश्यक विवादों में उलझे रहें। जाहिर है श्री रावत को विपक्ष के इरादों को भांपना होगा और उसीके अनुरूप आगे बढ़ना होगा।
वाणी दोष देश के कई नेताओं को पप्पू बना चुका है। इसलिए ज्यादा सजगता की स्वाभाविक अपेक्षा की जाती है। इसका सरल सा उपाय है कि अपने संबोधन को संक्षिप्त रखा जाए और जितना बोला जाए उसके दूरगामी निष्कर्षों को पहले अनुमान लगाया जाए। पुराने बुजुर्ग कम बोलने और सुखी रहने का फार्मूला शायद इसलिए निर्धारित किए होंगे।
वैसे देखा जाए तो तीरथ सिंह रावत ने कुछ भी अनुचित नहीं कहा। चाहे फटी जींस की बात हो या ज्यादा बच्चों की बात हो। तर्क के धरातल पर उसने कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था लेकिन जब विपक्ष आपको चक्रव्यूह में घेरने पर आमादा हो तो सावधानी बरतने की ज्यादा जरूरत होती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में इस तरह के प्रकरणों की पुनरावृत्ति नहीं होगी।

टीम यमुनोत्री Express

Related posts

दुःखद हादसा :गहरी खाई में गिरने से एक ब्यक्ति की मौत, शव बरामद

Jp Bahuguna

बड़ी खबर। पुरोला जल जीवन मिशन योजनाओं का डीएम ने किया औचक निरीक्षण और अन्य निर्माणाधीन योजनाओं में देरी को लेकर डीएम नाराज दिये जरूरी निर्देश… पढ़ें।

Arvind Thapliyal

दु:खद खबर।चोपड़ा कसलाना मोटर मार्ग पर बुलरो वाहन दुर्घटनाग्रस्त एक के मौत की सूचना… पढ़ें।

Arvind Thapliyal

You cannot copy content of this page