उत्तरकाशी से सुनील थपलियाल
विधानसभा सत्र के दौरान रखे गए मुद्दों में घोषित यमुनोत्री जनपद को स्थान न मिलने से यमुनाघाटी में आक्रोश के स्वर उठने लगे है । 23 अगस्त से होने वाले मानसून सत्र में जारी किए गए मुद्दों में क्रमांक 10 पर रानीखेत, कोटद्वार, काशीपुर और डीडीहाट का नाम दर्ज है जबकि पूर्व में घोषित पृथक जनपदों में रानीखेत , यमुनोत्री, कोटद्वार, डीडीहाट चार जनपद शामिल थे परंतु विधानसभा सत्र के मुद्दों में पृथक घोषित जनपद यमुनोत्री का नाम न होने से आम पब्लिक में नाराजगी दिखने लगी है ।
मालूम हो कि तात्कालिक मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक सरकार के समय 15 अगस्त 2011 को उत्तराखंड में यमुनोत्री, कोटद्वार, डीडीहाट और रानीखेत को पृथक जनपद को घोषणा की गयी थी । कई मुख्यमंत्री आने के बाद भी घोषित पृथक जनपद अस्तित्व में नही आ पाये, इतना ही नही पृथक जनपदों के गठन हेतु एक कमेटी भी बनाई गई जिसकी रिपोर्ट सरकार के पास मौजूद है। बाबजूद जनपद बनना तो दूर विधानसभा सत्र में रखे जाने वाले मुद्दों में यमुनोत्री जनपद का नाम तक नही है । इसकी जगह काशीपुर का नाम लिखा हुआ है । दरअसल मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन द्वारा जारी विधानसभा सत्र के मुद्दों में क्रमांक 10 में घोषित पृथक जनपद यमुनोत्री का नाम न होने से यमुनाघाटी के क्षेत्रीय लोगो मे भारी आक्रोश व्याप्त है। स्थानीय निवासियों ने यमुनोत्री विधायक केदार सिंह रावत और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से घोषित पृथक जनपद यमुनोत्री को अस्तित्व में लाने की मांग की है।
घोषित चार पृथक जनपद संघर्ष समिति के केंद्रीय अध्यक्ष अब्बल चन्द कुमाई ने कहा कि सरकार घोषित पृथक जनपदों को अस्तिव में लाये , अगर अन्य जनपद भी बनाये जाने है तो अलग से कार्यवाही करें परंतु पूर्व में घोषित जनपदों को जल्द से जल्द अस्तित्व में लाये। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र में उठने वाले मुद्दों में यमुनोत्री का नाम न होने से स्थानीय लोगो मे नाराजगी है। शासन द्वारा जारी मुद्दों में यमुनोत्री का नाम न रखा जाना दुर्भाग्य पूर्ण है ।
यमुनोत्री सहित कोटद्वार, डीडीहाट, रानीखेत को पृथक जनपद बनाने की मांग को लेकर संघर्ष समिति आंदोलन की तैयारी में जुट गई है ।
टीम यमुनोत्री Express