सुनील थपलियाल
बड़कोट/ नैनबाग ।
जहां चाह वहां राह, यह बात चरितार्थ की है जौनसार के दो भाइयों ने। इन युवकों ने यह सिद्ध कर दिया कि रोजगार सिर्फ नौकरी हासिल करना नहीं होता, यदि आपमें संकल्प शक्ति है तो आप खुद को आर्थिक रूप से मजबूत कर नौकरी देने वाले भी बन सकते हैं।
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण (कोविड 19) काल में कई युवकों को बेरोजगारी का मुंह देखना पड़ा, कई के रोजगार छिन गए तो आर्थिक गतिविधियां ठप हो जाने से एक तरह से जीवन का पहिया ही थम गया। ऐसे में आर्थिक तंगी से जूझ रहे युवकों ने स्वरोजगार का रास्ता अपनाना शुरू है तो स्वावलंबन की नई इबारत दर्ज हो गई। इसका प्रमाण है जौनसार क्षेत्र के क्यारी गाँव (खत बहलाड़) के प्रभात नौटियाल और रौनक नौटियाल दो भाइयों का बंजर भूमि पर नीबू का बगीचा लगा कर स्वरोजगार का रास्ता अपनाना। क्षेत्र में इन दोनों भाइयों की ग्रामीण प्रशंसा कर रहे हैं।
आपको बताते चले कि जौनसार, रवांई और जौनपुर के कई युवक सरकारी व गैर सरकारी सेवा के लिए देहरादून में तैयारी पर जुटे हुए हैं। कई प्राईवेट सेक्टर में नौकरी छिन जाने से बेरोजगार हो गए या सरकारी सेवा के लिए तैयारी कर रहे युवक नौकरी न मिलने पर घर लौट आए और उन्होंने स्वरोजगार की ओर रुख कर बंजर भूमि को आबाद करने का सिलसिला शुरू किया। जनपद उत्तरकाशी की सीमा से सटे जौनसार क्षेत्र का क्यारी गाँव जहाँ पर दो भाइयों ने लॉकडाउन के दौरान बंजर भूमि पर 300 से अधिक नींबू के पौधे लगाए हैं। पौधों की सुरक्षा के लिए तारबाड़ भी की गई। बेरोजगार युवक का कहना है कि बिना किसी सरकारी मदद के उन्होंने 300 से अधिक पेड़ लगाए हैं।
इनमे से एक प्रभात नौटियाल का कहना है कि सरकार की मदद मिले तो इससे भी बेहतर किया जा सकता है। उन्हें बताया गया कि सरकार के स्तर पर कई तरह की प्रोत्साहन योजनाएं चल रही हैं। इस पर उनका कहना था कि इस दिशा में अब कोशिश करेंगे, अभी तो अपने बूते जो संभव था, वह कर दिया है और इस काम को आगे बढ़ा कर कुछ नया करने का भरसक प्रयास जारी रखेंगे।
जाहिर है कोरोना ने जहां मुसीबतें दी वहीं युवाओं का मनोबल भी बढ़ाया है और इस पिछड़े क्षेत्र में अनेक लोग नवाचारी गतिविधियों से रोजगार और स्वरोजगार की नित नई गाथाएं लिख रहे हैं।
टीम यमुनोत्री Express