देहरादून ब्यूरो। विश्व आयुर्वेद परिषद, उत्तराखंड ने भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखंड में रजिस्ट्रार के पद पर आयुर्वेद चिकित्सक की नियुक्ति किए जाने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखा पत्र लिखा है। पत्र में लिखा गया है कि जहां केन्द्र की मोदी सरकार एवं आपकी उत्तराखंड की सरकार आयुष चिकित्सा पद्धति के सम्पूर्ण विकास के लिए प्रतिबद्ध है, वहीं उत्तराखंड के भारतीय चिकित्सा परिषद में रजिस्ट्रार के पद पर एक गैर चिकित्सक की नियुक्ति आपके पूर्व कार्यकाल में की गयी थी, जो कि अभी भी कार्यरत हैं, जबकि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश के राज्यों के आयुष परिषदों में रजिस्ट्रार के पद पर केवल आयुष चिकित्सक ही नियुक्त होता है, जिससे कि राज्य के आयुष चिकित्सकों के पंजीकरण की कार्यवाही सुचारू एवं नियमानुसार होती रहे परन्तु उत्तराखंड राज्य के भारतीय चिकित्सा परिषद में गैर आयुर्वेदिक चिकित्सक के रजिस्ट्रार पद पर नियुक्ति होने से परिषद में पंजीकरण की कार्यवाही में गंभीर अनियमितता हो रही है, जिसमें पूर्व में फर्जी डिग्रीधारियों के पंजीकरण के मामले प्रकाश में आये हैं, जिससे पूरे देश में राज्य के परिषद एवं आयुष विभाग की छवि धूमिल हुई है।
पत्र में लिखा कि आपकी लोकप्रिय सरकार द्वारा इस मामले में की जांच एसआईटी (SIT) द्वारा कर इनके खिलाफ कार्यवाही की जा चुकी है तथा कुछ लोगों को फर्जी डिग्री प्रकरण में जेल भी भेजा जा चुका है। इसके अलावा कुछ डिप्लोमा धारियों के भी पंजीकरण एक शासनादेश की आड़ में परिषद में किए गए हैं जिनकी जांच की जानी भी अति आवश्यक है क्योंकि उत्तर प्रदेश शासन ने इन डिप्लोमा देने वाली संस्थाओं को पूर्णत: फर्जी बताया जो कि राज्य की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है और ये सब परिषद के पर चिकित्सक नहीं होने के कारण हो रहा है। भारत सरकार के आयुष विभाग एवं राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग ने परिषद के ऐसे नियम विरोधी कार्यों का स्वत: संज्ञान लेकर यहां पर यहां पर गैर मान्यता प्राप्त डिप्लोमा धारी व्यक्तियों का पंजीकरण को तृकाल निरस्त करने हेतु पत्र लिखा है, साथ ही परिषद में गैर चिकित्सक की नियुक्ति को नियम विरुद्ध माना है।
उपरोक्त प्रकरण से पूरे राज्य में आयुष चिकित्सकों के साथ-साथ आम जनता में भी रोष व्याप्त है।
भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के बोर्ड द्वारा भी स्वयं किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक को ही रजिस्ट्रार बनाए जाने हेतु दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर शासन को भेजा जा चुका है।
राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ जिला उत्तराखंड (पंजीकृत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. डी. सी. पसबोला ने बताया संघ द्वारा भी समय-समय पर आयुर्वेदिक चिकित्सक को ही रजिस्ट्रार बनाए जाने हेतु मांग की जाती रही है।
इसलिए राज्य में आयुष के विकास एवं उन्नयन एवं फर्जी चिकित्सकों के पंजीकरण पर रोक लगाने आदि के लिए रजिस्ट्रार पद पर किसी आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी की तत्काल नियुक्ति किया जाना अति आवश्यक है।