जयप्रकाश बहुगुणा
बड़कोट /उत्तरकाशी
उत्तराखंड चारधाम यात्रा के प्रथम धाम श्री यमुनोत्री धाम यात्रा का पैदल मार्ग कुछ जगहों पर बहुत ही जोखिम भरा हो गया है, दिन भर सैकड़ों घोड़े खचरों के आवागमन से मार्ग पर गहरे -गहरे गढ़े पड़ने के कारण मार्ग पर घोड़े खचरों के साथ पैदल चलने वाले लोगों के लिए जोखिम भरा है !हालाँकि इस वर्ष इस मार्ग के मरम्मत कार्य पर संबंधित विभाग द्वारा लाखों रूपये खर्च किये गए लेकिन घटिया गुणवत्ता के कारण इस पैदल मार्ग पर चलना श्रद्धालुओ के लिए दूभर हो रहा है, जिन जगहों पर सीढियाँ बनाई गई है उनके स्टेप के बीच में खड़ी चढ़ाई के बाबजूद फासला अधिक रखा गया है, जिससे घोड़े -खचरों को चढ़ते उतरते हुए भारी परेशानी हो रही है !गड्ढों में बारिस का पानी भरने से स्थिति और भी खराब हो गई है, आये दिन पैदल मार्ग पर घोड़े खचर फिसल रहें हैं, तथा यात्री भी चोटिल हो रहें हैं !सामाजिक कार्यकर्ता महावीर पंवार के अनुसार जो वैकल्पिक मार्ग भंडेली गाड़ से वन विभाग के रास्ते पुराना भैरव मंदिर होते हुए यमुनोत्री में बाय पास वन वे संचालित किया जा रहा उसमें आज इस मार्ग की स्थिति बेहद खराब है !, घोड़े खच्चर चालकों के अनुसर पैदल मार्ग अनेक स्थानों पर बहुत ही खतरनाक और बड़े बड़े स्टेप सीढ़ियां हैं, खाई टाइप से बनी हुई गहरे गढ़े नाली की तरह जिनकी वजह से कई घोड़े खच्चर तो चढ़ने में ही हांपने लगते हैं और कई यात्री गिरते हैं और चोटिल भी हो जाते हैं, और ऊपर से कीचड़ ही कीचड़ से पूरा रास्ता पैर रखने लायक नहीं है, यात्रा व्यवस्था बनाने के लिए तो यह मार्ग सही है लेकिन इस मार्ग की संबंधित विभाग द्वारा या सरकार द्वारा तत्काल मरम्मत कार्य नहीं करवाया जाता है तो कोई अनहोनी होने से इनकार नहीं किया जा सकता है !महावीर पंवार माहि का कहना है कि साफ सफाई प्रति दो दिन बाद अवश्य होनी चाहिए जिससे कीचड़ न बने, रास्ते में यदि अच्छे से सीढ़ियों को छोटा छोटा बनाकर और गड्ढों को आरसीसी सीमेंट कांक्रीट से बनाया जाए तो और बेहतर होगा !
घोड़े खचर संचालकों का कहना है कि जब तक इस वैकल्पिक मार्ग की मरम्मत होती है तब तक यात्रा को एक हफ्ते तक शासन प्रशासन द्वारा मेन रास्ते से संचालित करवाया जा सकता है ताकि निर्माण कार्य सही से और मजबूत हो टिकाऊ बना रह सके।यदि समय से अभी इस रास्ते की मरम्मत कार्य सही से हो जाएगा तो आने वाले समय में न कोई अव्यवस्था होगी और न ही यात्रियों के चोटिल होने की संभावना भी कम होगी और चारधाम यात्रा में प्रथम धाम का एक अच्छा संदेश भी जाएगा।