Hindi news (हिंदी समाचार) , watch live tv coverages, Latest Khabar, Breaking news in Hindi of India, World, Sports, business, film and Entertainment.
एक्सक्लूसिव देहरादून बड़ी खबर राज्य उत्तराखंड

जोशीमठ भूधंसाव पर एसडीसी फाउंडेशन की रिपोर्ट से बड़ा खुलासा,आप पढ़े होंगे अचंभित……

 

देहरादून से दिनेश शास्त्री

देहरादून स्थित थिंक टैंक एसडीसी फाउंडेशन हर महीने उत्तराखंड में आने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट जारी कर रहा है। इस क्रम मे एसडीसी ने अपनी अब तक की चौथी और इस वर्ष की पहली, जनवरी 2023 की रिपोर्ट जारी कर दी है। फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के अनुसार उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) रिपोर्ट का उद्द्शेय राज्य में पूरे महीने आने वाली प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं का डॉक्यूमेंटेशन है। यह रिपोर्ट राज्य में प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं को एक स्थान पर संग्रहित करने का प्रयास है। रिपोर्ट मुख्य रूप में विश्वसनीय हिन्दी और अंग्रेजी अखबारों और न्यूज़ पोर्टल्स में छपी खबरों पर आधारित है।

*उत्तराखंड उदास जनवरी 2023*

उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में जनवरी 2023 में कोई ऎसी बड़ी आपदा या दुर्घटना नहीं हुई जिसमें एक ही दिन या एक समय विशेष पर कोई बड़ी दुर्घटना या जान और माल की क्षति हुई हो।जनवरी 2023 महीने की रिपोर्ट पूरी तरह से जोशीमठ भूधंसाव पर आधारित है। इसके अलावा इस रिपोर्ट में इस महीने आये भूकम्प के झटके और चमोली जिले में हिमस्लखन का भी जिक्र किया गया है।

उदास की जनवरी 2023 महीने की रिपोर्ट की सबसे खास बात यह है कि जोशीमठ में इस महीने में हुई हलचलों की हर रोज़ की तिथि वार जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में जोशीमठ भूधंसाव के हर पहलू को छूने का प्रयास किया गया है। इसमें जमीन और मकानों में आने वाली दरारों की स्थिति का जिक्र भी है तो वहां लोगों को होने वाली परेशानियों पर भी यह रिपोर्ट प्रकाश डालती है। रिपोर्ट में जोशीमठ में लोगों को राहत देने के लिए किये जा रहे सरकारी प्रयासों का हवाला दिया गया है। इसके अलावा वहां होने वाले सरकारी और वैज्ञानिक सर्वेक्षणों और जोशीमठ के ठीक नीचे जेपी कॉलोनी में लगातार हो रहे पानी के रिसाव पर भी उदास की रिपोर्ट बात करती है।

जनवरी 2023 महीने की उदास रिपोर्ट में जोशीमठ की प्रमुख घटनाओं को डेटवाइज दर्ज किया गया है। मसलन पहली जनवरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चमोली के डीएम हिमांशु खुराना से विस्तृत जानकारी मांगी तो दो जनवरी को जोशीमठ के लोगों ने देहरादून में प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाया कि जोशीमठ में धंसाव की बड़ी वजह एनटीपीसी तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना की 20 किमी लंबी टनल है, जो जोशीमठ के ठीक नीचे है। इसके साथ ही इस रिपोर्ट में जोशीमठ में लोगों के सड़कों पर प्रदर्शन और राज्य सरकार की ओर से उठाये गये कदमों का भी तिथिवार ब्योरा देने का प्रयास किया गया है।

इस रिपोर्ट में जोशीमठ के निचले हिस्से में मारवाड़ी स्थित जेपी आवासीय कॉलोनी में अचानक जलस्रोत फूटने की घटना को न सिर्फ प्रमुखता से दर्ज किया गया है, बल्कि पहले दिन से लेकर अगले कई दिनों से यहां से डिस्चार्ज होने वाले पानी की मात्रा भी दर्ज की गई है। जोशीमठ के निवासियों के हवाले से रिपोर्ट कहती है कि सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं। 2021 में पहली बार जोशीमठ में दरारें देखी गई थी। सरकार ने उसी समय उनकी बात सुनी होती तो आज यह नौबत न आती। वाडिया भू विज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों के हवाले से उदास की रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ में भूमि धंसने की दर दोगुनी हुई है। रिपोर्ट में चमोली जिले के कर्णप्रयाग, टिहरी के अटाली गांव आदि में भी जमीन धंसने की घटनाओं का जिक्र किया गया है।

उदास की रिपोर्ट पर्यावरणविद् प्रो. रवि चोपड़ा के हवाले से कहती है कि यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि जोशीमठ में भूधंसाव की प्रमुख वजह टनल है। इसके साथ ही रिपोर्ट में आठ विभिन्न संस्थानों द्वारा जोशीमठ भूधंसाव के कारणों की अध्ययन करने, उत्तराखंड कैबिनेट की ओर से पहाड़ी इलाकों के शहरों में वहन क्षमता अध्ययन करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने, भूमि धंसाव प्रभावित प्रत्येक परिवार को 1.5 लाख रुपये अंतरिम सहायता की घोषणा, प्रति माह 5000 रुपये किराया, राहत शिविरों में भोजन के लिए हर व्यक्ति को 450 प्रतिदिन देने, पानी और बिजली पर भी राहत देने जैसी घोषणाओं का जिक्र भी किया गया है।

*उत्तराखंड और आपदा प्रबंधन*

अनूप नौटियाल ने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड उदास मंथली रिपोर्ट राजनीतिज्ञों, नीति निर्माताओं, अधिकारियों, शोधार्थियों, शैक्षिक संस्थाओं, सिविल सोसायटी आग्रेनाइजेशन और मीडिया के लोगों के लिए सहायक होगी। साथ ही दुर्घटना और आपदाओं से होने वाले नुकसान के न्यूनीकरण के लिए नीतियां बनाते समय भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।

*आपदा प्रबंधन का ओडिशा मॉडल*

उत्तराखंड आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है और अपने अध्ययनों के आधार पर वैज्ञानिक यहां भूस्खलन, भूकंप आने की आशंका लगातार जताते रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में विशेष तौर पर आपदा तंत्र को मजबूत करने की सख्त जरूरत है।

अनूप नौटियाल ने कहा की उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के लिए ओडिशा मॉडल से सीख लेने की ज़रूरत है। ओडिशा मॉडल की सराहना यूनाइटेड नेशंस ने भी की हैं। आपदा जोखिम शासन को मजबूत करने, तैयारियों और परिदृश्य योजना में निवेश करने और आपदा जोखिम की अधिक समझ फैलाने पर ओडिशा मॉडल महत्वपूर्ण सबक देता है।ओडिशा मे 1999 के चक्रवात मे लगभग 10,000 लोग मारे गए और यह कभी दोहराया नहीं गया है।

टीम यमुनोत्री Express

Related posts

उत्तरकाशी :आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण की औपचारिकताएं नियमानुसार समय से पूर्ण कर ली जाय :सीडीओ

Jp Bahuguna

उत्तरकाशी :कल जिला मुख्यालय में डीएम की अध्यक्षता में होगा शिकायत निवारण, जनता मिलन कार्यक्रम

Jp Bahuguna

जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र  में  दिव्यांगजन जागरूकता गोष्ठी एवं शिविर का आयोजन किया गया।

Arvind Thapliyal

You cannot copy content of this page