उत्तरकाशी।
नौगांव ब्लॉक के सुनारा गांव में आयोजित तीसरे बर्ष को आयोजित भादों महा की मां भगवती जात्रा में मां भद्रकाली का भव्य स्वागत हुआ । तीसरे साल मायके पहुंची मां भगवती का गांव की महिलाओं ने सुनारा गांव के मुख्य दृवार पर धुप देकर मालाओं से स्वागत कर देवी देवता की हारोल व झुमैलों संग घंटों नृत्य पर सुनारा गांव की चौंरी और थाती में प्रवेश करवाया । रात्री में सभी देवी की आरती में शामिल हुये, दुसरे सुबह मां भगवती के लिए गांव की रूईणि, ध्याणियों ने मायके पहुंची मां भगवती के लिए बिशेष दोफारी पुरी, धाणा, बुकण, फल, श्रृगांर, अखरोट आदि बनाकर भेंट किया । दिन में गांव की पंचायत चौक में देवी के पुजारी कुलानंद ने भगवती की पुजा की तथा देवी के पश्वा बुद्धि राम बहुगुणा पर देवी ने अवतरित होकर ग्रामीणों ने उनसे सवाल जबाव कर सबको अपना आशीर्वाद दिया । पुजा के बाद बहार से आये सभी श्रद्धालुओं ने स्थानीय मयालू भोज का स्वाद चखा, उसके बाद गांव की महिलाओं एवं युवतियों ने पांरपरिक बेषभुषा में सजधज कर गांव की पंचायत चौक में आकर गीतांग टोलियों संग रंवाई की संस्कृति को लेकर चार घंटे खूब रासों तांदी लगाकर खूब पसीना बहाया। अंत में ग्रामीणों एवं गांव की महिलाओं ने नम आंखों से देवी की डोली को सौदाड़ी गांव के लिए विदाई दी ।
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सुनारा गांव कैसे बना मां भद्रकाली का मायका
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सुनारा गांव को मां भगवती का मायका होने के संबंध में
मां भद्रकाली के पुजारी कुलानंद बहुगुणा, बुद्धि राम बहुगुणा बताते है कि 49 साल पहले उनके दादा उमा दत्त बहुगुणा, उनकी पत्नी समेत वह स्वयं पुरोला पुजेली जहां उनकी दादा की ससुराल और ओडारू जखंडी का मेला देखने गये, और जब वापस होकर अपने घोड़े से पौंटी जा रहे थे । सुनारा नजदीक अंधेरा होने लगा, सुनारा गांव के कुछ लोगों जब उन्हें देखा, रूकने को कहा । लेकिन देवी के पश्वा ने पौटी गांव में नियमित न्यूतेर आने का हवाला देते पौटी जाने की बात कही ।
कई कौशिश करने पर वह नहीं माने और सुनारा गांव से पौंटी के लिए चल दिये जैसै ही सुनारा गांव की अंतिम सीमा रेखा सिमली खंड के समीप पहुंचे उनका लाल रंग का घोड़ा आगे न बढ़कर वही लेट गया, कई कौशिश की मगर घोड़ा खड़ा नहीं उठा, उन्होने ग्रामीणों को आवाज लगाई, सुनारा गांव के ग्रामीणों से घोड़ा के आगे न बढ़ने की बात कही । और जब घोड़ा आगे नहीं बढ़ा और बहुत अंधेरा देख देवता के माली उमादत्त बहुगुणा सुनारा गांव में रूकने को तैयार हो गये । बड़े आदार के साथ गांव वालों ने उन्हे सुनारा गांव लाये । जैसे ही वापस निकलने लगे घोड़ा अपने आप खड़ा हो गया और सुनारा गांव की मुड़ कर सभी लोग सुनारा गांव आ गये । सांम के समय उन पर देवी भगवती ने प्रकट होकर लोगों के अतिथि सत्कार से प्रसन्न होकर सुनारा गांव को अपना मायका बनाने का बचन दिया । हर तिसरे साल मां भगवती की सुनारा गांव में भादों मेला होने को कहा तब से अब तक यहां हर तिसरे साल भादो महा देवी का भव्य मेला आयोजित होता है। और पुजेली से उनकी दादी की लाई दोफारी सुनारा गांव में बांट दी गई । दुसरे दिन गांव की ओर से देवी की बिशेष दोफारी तैयार की गई । जिसे पौंटी गांव में बांटा गया ।गांव के सभी लोग आज भी देवी के लिए पुरी, अर्से, धाणा, बुकण, फल आदि दोफारी के रूप बनाकर भेंट करते है । और देवी मां भगवती को श्रृदा के रूप में चुड़ी, बिंदी, चुटी, फल, धुपवत्ति, पिठाई, माता श्रृगांर आदि भेंट की जाती है ।
देवी के चांदी झामण पर गणेश, शिव, बहमा, कृष्ण, आदि की मुर्तियां उकेरी गई है । देवी से मांगी गई मुराद पुरी होने पर देवी को सोना, चांदी, छतर, घंटी, चांदी के सिक्के,चुन्नी चादर आदि भेंट करते है ।
मां भद्रकाली नौगांव पुरोला विकासखंड के 12 गांव की ईष्ट देवी है मोल्डा, पौटी में देवी के भव्य मंदिर है । तथा समय मां भगवती इन गावों के क्षेत्र भ्रमण पर है ।
इस मौकै पर देवता के पुजारी कृष्णदेव, विनोद बहुगुणा, नवीन
पुर्व जिपं सदस्य सकल चंद रावत, जोध सिंह असवाल, ऐलम सिंह चमियाल, उपेंद्र सिंह, , मनोज रावत, रमेश चंद रावत, सोवेंन्द सिंह, कुलदीप रावत प्रधान, डाक्टर विरेंद्र चंद, सभासद गजेंद्र नौटीयाल, त्रेपन सिंह, देवेंद्र चंद, दयाचंद रमोला,धीरेंद्र राणा, अजब सिंह समेत कई लोग मौजूद थे ।
टीम यमुनोत्री Express